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तीन मजदूरों की चितायें देख ग्रामीणों की भर आयी आंखें

-रिमझिम इस्पात फैक्ट्री में मजदूरी करने जाते समय हादसे में हुई थी तीन मजदूरों की मौत हमीरपुर, 01 मई (हि.स.)। सुमेरपुर थाना क्षेत्र में कानपुर-सागर नेशनल हाइवे-34 पर भीषण सड़क दुघर्टना में मारे गये तीन मजदूरों के शवों के शव शनिवार को गांव पहुंचते ही ग्रामीणों की आंखें भर आयी। तीनों शवों का अंतिम संस्कार होते देख गांव के लोग अपने आंसू नहीं रोक पाया। मजदूरों की मौत के बाद तीनों के परिजन अब असहाय हो गये है। वहीं एक मजदूर के परिवार की दयनीय दशा हो गयी है। कोई कमाने और वंश चलाने वाला नहीं बचा। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार की रात इगोहटा गांव के 8 मजदूर रिमझिम स्पात फैक्ट्री सुमेरपुर में रात की शिफ्ट में काम करने के लिए रोजाना की तरह आपे में बैठकर फैक्ट्री जा रहे थे तभी चंद्रपुरवा गेट के पास सामने से आ रहे एक ट्रैक्टर से उसकी जोरदार भिड़ंत हो गई तो तीन मजदूर मनोज 36 वर्ष पुत्र राम अवतार शिव हरे, हरिप्रसाद यादव पुत्र भगवती यादव, मोनू कुशवाहा पुत्र राम किसुन 19 वर्ष मौके पर ही मौत के आगोश में समा गए थे। जबकि नरेश सोनकर, सुनील यादव, अंकित, बब्लू, इमरान 5 मजदूर घायल हो गए थे। सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने घायलों को एम्बुलेंस द्वारा अस्पताल भेजा और लाशों को पीएम के लिए भिजवाया। दुर्घटना के बाद हाईवे में जाम लग गया आधा घंटे बाद बड़ी मशक्कत से जाम खुल सका। शनिवार को पीएम के बाद मृतक मजदूरों के शव गांव लाए गए तो गांव का माहौल और ग़मगीन हो गया। सभी का अलग अलग स्थानों में अंतिम संस्कार किया गया। मौजूद लोगों के आंसू रोके नहीं रुके। बताया जाता है कि नरेश और सुनील यादव को कानपुर रेफर किया गया है। जबकि वाहन चालक अंकित का उपचार सदर अस्पताल में चल रहा है। दो लोग ठीक होकर घर पहुंच गए हैं। बेसहारा हो गए तीनों मृतक मजदूरों के परिवार सड़क दुर्घटना में मौत के शिकार हुए इगोहटा गांव के तीनों मजदूरों के परिवार उनकी नामौजूदगी में असहाय दिखाई दे रहे हैं। उनकी दास्तान सुनकर खुदब खुद पता चल जाता है कि जो हुआ वह नहीं होना चाहिए था। मनोज शिवहरे ने बिहार की कम दिमाग वाली अनुराधा के साथ शादी की थी। 3 वर्ष तथा 6 माह आयु के दो पुत्र हैं। मनोज ने मजदूरी करके अपनी चार बहनो की शादी कर चुका है। पूरे घर का भरण पोषण उसी के जिम्मे था। भूमिहीन होने से घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। दूसरा मृतक हरिप्रसाद यादव के 2 साल का पुत्र और 5 माह की बेटी है। पत्नी संगीता सहित पूरे परिवार को रोता बिलखते छोड़ गया है। तीन वर्ष पूर्व इसके भाई रविशंकर को एक ट्रक ने सड़क पर कुचल डाला था। मृतक भाई के बीबी बच्चों का ख्याल हरप्रसाद ही रखता था। तीसरे मृतक मोनू कुशवाहा 19 वर्ष के ऊपर पूरे परिवार का भार था। उसके माता पिता दोनों मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं। छोटा भाई सोनू 17 वर्ष और मोनू दोनों राजस्थान में मजदूरी करते थे। चार माह पूर्व छत से गिर जाने से सोनू की रीढ़ की हड्डी टूट गई थी। तो वह लेटा ही रहता है। भाई का इलाज कराने के लिए मोनू फैक्ट्री में काम करने लगा था। उसे क्या पता था कि वह वृद्ध माता पिता और अपाहिज भाई को असहाय छोड़ना पड़ेगा। आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय है कि इनका परिवार खंडहर मे तब्दील हो रहे कच्चे मकान में रहने को मजबूर हैं। हिन्दुस्थान समाचार/ पंकज/

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