
लखनऊ, हि. स.। भगवान शिव की महिमा का गान करने वाले आचार्य डॉ. कृष्ण कान्त ने कहा कि सावन माह में भाव से किया जाने वाला पूजन ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों को स्वीकार है। भाव के सामने तीनों देव एक है। तेलीबाग में एक कार्यक्रम में आचार्य डॉ. कृष्ण कान्त ने कहा कि भगवान शिव के वर्ष के प्रत्येक प्रदोष व्रत को रखने वाले लोग सावन माह में ही उद्यापन करते हैं। सावन माह में भगवन अपने भाव रूप के रहते हैं। भाव से भरे भगवान शिव अपने परिवार, भक्तगण को भरपूर साहस, धन, बल और भक्ति देते हैं।
शिव रखते हैं दया का भाव
उन्होंने कहा कि भगवान रीझते नहीं है, जब तक भक्त रोता नहीं हैं। भक्त का भी भाव भगवान की भक्ति में दिखना चाहिए। पूर्ण भाव से पूजन करने पर भगवान उसे स्वीकार करते है। भगवान शिव तो दया का भाव रखते है, शीघ्र ही भक्त की भक्ति को स्वीकार कर लेते हैं।
शिव के साथ करें पार्वती के परिवार की भी पूजा
उन्होंने कहा कि भगवान की भक्ति में देवी आराधना अवश्य जुड़ना चाहिये। देवी को वस्त्र, आभूषण चढ़ाइये। सावन माह में भगवान शिव के साथ पार्वती देवी को भी पूजे। परिवार के सदस्य भगवन कार्तिकेय और भगवान गणेश की भी पूजा कीजिए। इसके साथ ही सर्प और नन्दी को पूजन में शामिल कीजिए।