Loksabha Election: RLD को BJP का गठबंधन हमेशा भाया, फिर भी उसने क्यों छोड़ा था भाजपा का साथ? जानिए सब

Loksabha Election: भाजपा के साथ गठबंधन में ही रालोद ने अपना सबसे उम्दा प्रदर्शन किया है।
Jayant Chaudhary
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मेरठ, (हि.स.)। भले ही 15 साल बाद भाजपा और रालोद मिलकर चुनाव लड़ रहे हों, लेकिन चुनावी इतिहास को देखें तो रालोद को हमेशा भाजपा का साथ भाया है। भाजपा के साथ गठबंधन में ही रालोद ने अपना सबसे उम्दा प्रदर्शन किया है।

अजित सिंह खुद केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे

भाजपा के उदय के बाद से राष्ट्रीय लोकदल ने उसके साथ मिलकर विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनाव लड़े हैं। अपने राजनीतिक इतिहास का सबसे शानदार प्रदर्शन भी रालोद ने भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़कर किया है। इसके बाद भी रालोद नेतृत्व बार-बार भाजपा से गठबंधन तोड़कर चुनाव लड़ता रहा है। चुनाव दर चुनाव रालोद के साथी बदलते रहे हैं और कोई स्थायी चुनावी साथी रालोद ने कभी नहीं बनाया।

राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष रहे चौधरी अजित सिंह ने पहली बार भाजपा के साथ मिलकर 2002 का विधानसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में रालोद ने विधानसभा चुनावों में सबसे शानदार प्रदर्शन किया और 14 सीटों पर जीत हासिल की। उस समय अजित सिंह खुद केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। विधानसभा चुनाव परिणाम में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो रालोद ने भाजपा का साथ छोड़ दिया और सपा के साथ मिलकर प्रदेश में सरकार में शामिल हो गया।

2024 में रालोद ने भाजपा का महत्व समझा और फिर से एनडीए में शामिल

2009 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल ने फिर से भाजपा का दामन थाम लिया। दोनों दलों ने मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा। उस समय भाजपा गठबंधन के तहत रालोद ने सात लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और उसने पांच सीटों पर जीत दर्ज की। यह रालोद के इतिहास का लोकसभा चुनावों में सबसे शानदार प्रदर्शन था। उस समय रालोद को बागपत, मथुरा, हाथरस, अमरोहा और बिजनौर लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई, जबकि मुजफ्फरनगर और नगीना में हार का सामना करना पड़ा।

केंद्र में यूपीए सरकार की वापसी के बाद अजित सिंह ने भाजपा का दामन छोड़ दिया और यूपीए सरकार को समर्थन देकर केंद्र में कैबिनेट मंत्री बन गए। इसके बाद 2014 में अजित सिंह और जयंत चौधरी अपनी-अपनी सीटों पर चुनाव हार गए। 2019 में भी सपा-बसपा-कांग्रेस के महागठबंधन से चुनाव लड़ने के बाद भी रालोद को करारी हार मिली। 2024 में रालोद ने भाजपा का महत्व समझा और फिर से एनडीए में शामिल होकर रालोद चुनाव लड़ रहा है।

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