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शोध और नवोन्मेषी दृष्टिकोण विश्वविद्यालय के लिए प्राणवायु - राज्यपाल

- सार्वजनिक जीवन के चुनौतियों का सामना करने का मूल मंत्र आत्मविश्वास और मानवीय चेतना - नई शिक्षा नीति से भारत भविष्य में उच्च शिक्षा के लिए आकर्षक गतंव्य बन जायेगा - प्रो.आशुतोष शर्मा - महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का 42वां दीक्षांत समारोह वाराणसी,02 मार्च (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि वैश्वीकरण के मौजूदा दौर में हमारे सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन के हर क्षेत्र में मूल्यों और मान्यताओं में परिवर्तन हो रहा है। परम्परागत मूल्यों और मान्यताओं में परिवर्तन का प्रभाव उच्च शिक्षा पर भी पड़ा है। ज्ञान विज्ञान तथा भूमण्डलीकरण के बीच शक्तिशाली और सर्वाग विकसित राष्ट्र के लिए निर्णायक भूमिका शिक्षा जगत की ही है। राज्यपाल मंगलवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में आयोजित 42वें दीक्षान्त समारोह की अध्यक्षता कर विद्यार्थियों और आचार्यो को सम्बोधित कर रही थी। समारोह में 60 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक देने के बाद राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय शैक्षणिक स्वतंत्रता और नए विचारों का उद्गम स्थल होता है। शोध और नवोन्मेषी दृष्टिकोण विश्वविद्यालय के लिए प्राणवायु है। राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति का उल्लेख कर कहा कि देश को अगर सुपर पावर बनना है तो पढ़े लिखे और दक्ष कर्मियों की बड़ी संख्या में जरूरत होगी। इसके लिए उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सख्त परिवर्तनों की जरूरत है। हमें ज्ञान को दूसरों से लेना नही है। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि हम कैसे ज्ञानवान बने। इस लिहाज से देखे तो नेशनल कमीशन फार हायर एजूकेशन एंड रिसर्च (एनसीएचईआर) एक अच्छी पहल है। शिक्षा एक राष्ट्रीय पहल है। उन्होंने कहा कि शिक्षा एक ऐसा उत्प्रेरक साधन है,जो देश के युवाओं और बच्चों का भविष्य रूपातंरित हो सकता है। उन्होंने नई शिक्षा नीति की सराहना कर कहा कि इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को जरूरी कौशल एवं ज्ञान से लैस करना और विज्ञान, तकनीकी, अकादमिक क्षेत्र और उद्योग क्षेत्र में लोगों की कमी को दूर कर देश को नालेज पावर के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त छात्रों को शुभकामना देते हुए कहा कि दीक्षान्त अवसर है, शिक्षान्त तो होता ही नहीं। शिक्षा एक सतत प्रक्रिया है, इसका अंत कभी नही होता। सार्वजनिक जीवन में प्रवेश करने पर आने वाली चुनौतियों का सामना आत्मविश्वास और मानवीय चेतना के भाव से करें। आपके भीतर कर्मनिष्ठा, संयम, गतिशीलता और उपकार का भाव भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को देश के बारे में गलत बात नहीं करनी चाहिए। समारोह में सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी विभाग प्रो. आशुतोष शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि वर्चुअल विद्यार्थियों को आत्म निर्भर भारत की संकल्पना को मूर्त रूप देने के लिए आगे आने का आह्वान किया। प्रो. शर्मा ने छात्रों को नकारात्मक विचार वाले दोस्तों से दूर रहने का संदेश देकर कहा कि मेधावी छात्र आधुनिक भारत के निर्माण में सहभागी बने। मजबूत बुनियाद के लिए बदलाव की आवश्यकता है। शिक्षाविद भी अगले 20 वर्षो के लिए मास्टर प्लान तय करें। प्रो. शर्मा ने नई शिक्षा नीति की तारीफ कर कहा कि 34 वर्षो के बाद समग्र शिक्षा नीति बनी है। भारत के लिए ये बड़ी उपलब्धि है। भारत भविष्य में उच्च शिक्षा के लिए आकर्षक गतंव्य बन जायेगा। राष्ट्र की समकालीन जरूरतों के लिए भी ये बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जो छात्र रिसर्च,अनुसंधान करना चाहते है वे रिस्क लेना सीखे। नवाचार के लिए उचित समय है। समारोह में स्वागत भाषण कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने दिया। दीक्षांत समारोह में कुल 81,612 विद्यार्थियों को उपाधि दी गई। इसमें छात्राओं की संख्या 50,941 और छात्रों की संख्या 30,671 रही। 40 पीएचडी और एक डीलिट की उपाधि भी दी गई। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर

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