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गणतंत्र दिवस: राजपथ पर उप्र की झांकी में राम मंदिर की प्रतिकृति ने मोहा मन, हाथ जोड़कर खड़े हो गए दर्शक

लखनऊ, 26 जनवरी (हि.स.)। गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर उत्तर प्रदेश की झांकी में राम मंदिर की प्रतिकृति आकर्षण का केन्द्र रही। इस झांकी की थीम अयोध्या-उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत थी। इस भव्य झांकी ने लोगों का मन मोह लिया। झांकी में प्राचीन शहर अयोध्या की धरोहर, भव्य राम मंदिर की प्रतिकृति, दीपोत्सव की झलक और पौराणिक ग्रंथ रामायण की विभिन्न घटनाओं को प्रदर्शित किया गया। झांकी के अग्रिम हिस्से में महर्षि वाल्मीकि की एक प्रतिमा विराजमान थी और इसमें वह रामायण की रचना करते दिखाई दिए। इसके पीछे मंदिर की प्रतिकृति थी। महर्षि वाल्मीकि के दोनों तरफ मोर की प्रतिमा भी दिखी। झांकी में मिट्टी के बने दीये नजर आए, जो अयोध्या के दीपोत्सव के प्रतीक थे। वहीं, अन्य भित्ति चित्रों में भगवान राम द्वारा निषादराज को गले लगाते और शबरी के जूठे बेर खाते, अहिल्या का उद्धार, हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी लाया जाना, जटायू-राम संवाद, लंका नरेश की अशोक वाटिका और अन्य दृश्यों को दिखाया गया। जैसे ही राम मंदिर की झांकी आई। कई दर्शक अपनी जगह खड़े होकर तालियां बजाने लगे तो कई हाथ जोड़कर खड़े हो गई। कई के चेहरे पर गर्व का एहसास नजर आया। इस दौरान केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी खड़े राम मंदिर की थीम पर आधारित झांकी का स्वागत किया। इस झांकी का शीर्षक गीत भी उत्तर प्रदेश की संस्कृति की लोगों को जानकारी दे रहा था। यह गीत राजधानी के जाने-माने गीतकार व साहित्यकार वीरेन्द्र वत्स द्वारा रचित है। गीत में अयोध्या और सीता-राम के प्रति जनमानस की आस्था का उल्लेख किया गया। वहीं झांकी में नृत्य करती दो महिलाओं समेत कलाकारों का एक समूह नजर आया। भगवान राम की वेशभूषा में एक व्यक्ति भी झांकी में मौजूद रहे। पीले रंग की रेशम की धोती और गले में रुद्राक्ष की माला पहने तथा हाथ में धनुष लिए यह शख्स चंदौली जिले के रहने वाले अजय कुमार थे। राम मंदिर की झांकी दिखाए जाने से अयोध्या के साधु-संत काफी खुश नजर आए। उन्होंने कहा कि इससे भारत की संस्कृति और सभ्यता की झलक देखने को मिली। देश और विदेश के लोगों को इस झांकी को देखकर अयोध्या और भारत की संस्कृति को और अच्छे तरीके से जानने का मौका मिला। वहीं राम जन्मभूमि के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भ्ीा इसको अच्छा कदम बताया। उन्होंने कहा कि भगवान राम का मंदिर और उनके स्वरूप की झांकी दिल्ली में परेड के दौरान दिखाया जाना अत्यंत सराहनीय है। उप्र का झांकी का सांस्कृतिक सन्देश टिप्पणीकार डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का सपना पांच शताब्दी पुराना था। कुछ समय पहले तक इसका कोई समाधान दिखाई नहीं दे रहा था। अंततः यह सपना साकार हुआ। पांच सदियों का समय कोई कम नहीं होता। ऐसे में मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होना ऐतिहासिक व अभूतपूर्व था। पांच अगस्त को श्री रामभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ था। उसके बाद यह पहला गणतंत्र दिवस है। इसलिए गणतंत्र दीवस परेड में इस ऐतिहासिक प्रसंग की अभिव्यक्ति सहज स्वभाविक थी। यह समाधान शांति व सौहार्द के साथ हुआ। इसके अलावा भारत के मूल संविधान में श्रीराम का चित्र भी सुशोभित था। ऐसे में यह संविधान की भावना के भी अनुरूप है। योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में भव्य दीपोत्सव का शुभारंभ किया था। इसके माध्यम से त्रेता युग की झलक दिखाने का प्रयास किया गया। अब यह अयोध्या की परंपरा में समाहित हो गया है। इस बार उत्तर प्रदेश की झांकी में दीपोत्सव को भी सजाया गया है। दीपोत्सव की भव्यता रामायण के प्रेरक प्रसंगों पर आधारित झांकी भी प्रदर्शित की गई। इसमें रामायण की रचना करते महर्षि वाल्मीकि, उनके आश्रम और पीछे मंदिर की प्रतिकृति है।अयोध्या हमारे लिए पवित्र नगरी है और राममंदिर हर आस्थावान के लिए श्रद्धा का विषय है। इस प्राचीन नगरी की प्राचीन विरासत की झांकी का प्रदर्शन किया गया। झांकी में भगवान राम के प्रतिरूप के साथ कलाकारों का दल था।निषादराज गृह,शबरी के बेर,पाषाण अहिल्या, संजीवनी लाते हनुमान, जटायु राम संवाद और अशोक वाटिका के दृश्य भी आकर्षक रहे। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in

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