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उप्र के 16 नगरों में रामायण कान्क्लेव, ‘जन-जन में राम’ जुलाई माह से

- दो-दो दिवसीय आयोजन में होंगे भगवान श्रीराम के जीवन दर्शन पर आधारित विविध कार्यक्रम - सांस्कृतिक उत्सव व संगोष्ठी में ढाई हजार से अधिक संस्कृति कर्मियों की होगी भागीदारी लखनऊ, 30 जून (हि.स.)। योगी सरकार उत्तर प्रदेश के 16 नगरों में जुलाई माह से रामायण कान्क्लेव का आयोजन कराने जा रही है। इस उत्सव श्रृंखला को ‘जन-जन में राम’ नाम दिया गया है। उत्सव श्रृंखला का आगाज रामनगरी अयोध्या से और समापन राजधानी लखनऊ में होगा। प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी ने बुधवार को रामायण कान्क्लेव के सम्बंध में अब तक हुई तैयारियों की समीक्षा की। साथ ही आयोजन की रूपरेखा भी तय की। मंत्री ने बताया कि पर्यटन विभाग की इस महत्वपूर्ण योजना के अन्तर्गत हर नगर में दो दिवसीय उत्सव आयोजित होंगे। उन्होंने बताया कि इस उत्सव श्रृंखला को ‘जन-जन में राम’ का नाम दिया गया है जिसमें स्थानीय रूप से आयोजन के अतिरिक्त ऑनलाइन प्रसारण की व्यवस्था भी होगी। इस उत्सव में ढाई हजार से अधिक विद्वानों, कलाकारों, संस्कृति कर्मियों की भागीदारी होगी। समीक्षा बैठक में डॉ तिवारी ने कहा कि जुलाई माह से प्रदेश के 16 नगरों में प्रारम्भ हो रहा ‘जन-जन में राम’ रामायण कान्क्लेव का आयोजन अगस्त माह तक चलेगा। इन 16 नगरों में श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या, गोरखपुर, वाराणसी, चित्रकूट, श्रृंगवेरपुर (प्रयागराज), बिठूर (कानपुर), मथुरा, बरेली, मेरठ, ललितपुर, सहारनपुर, बलिया, बिजनौर, गढ़मुक्तेश्वर, गाजियाबाद और लखनऊ शामिल हैं। संस्कृति मंत्री ने बताया कि इस भव्य आयोजन का उद्घाटन अयोध्या में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे। वहीं उत्सव श्रृंखला का समापन लखनऊ में होगा। बैठक में तय किया गया कि प्रत्येक नगर में दो दिवसीय आयोजन के प्रत्येक दिवस प्रातः भगवान श्रीराम के जीवन दर्शन पर आधारित वृहद् संगोष्ठी एवं परिचर्चा तथा सायंकाल भगवान श्रीराम के जीवन के विविध प्रसंगों पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किए जाएंगे। संगोष्ठी में देश-विदेश के भगवान श्रीराम के जीवन-दर्शन के जानकार विद्वानों को आमंत्रित किया जाएगा जबकि सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अन्तर्गत रामलीला के साथ ही श्रीराम के जीवन पर आधारित नाटक, नौटंकी, कठपुतली, गायन, वादन, नृत्य लोकसंगीत एवं कवि सम्मेलन सहित विविध कार्यक्रम होंगे। इसके साथ ही उन नगरों में उत्सव के अवसर पर भगवान श्रीराम के जीवन दर्शन पर आधारित चित्रकला, मूर्तिकला की प्रदर्शनी लगाई जाएगी तथा बच्चों में भगवान श्रीराम के जीवन दर्शन के प्रति अभिरुचि उत्पन्न करने के उद्देश्य से उनके लिए विविध प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। बैठक में मंत्री ने कहा कि संगोष्ठी एवं परिचर्चा में जन-जन में राम, लोकमानस में राम, रामकथा में सामाजिक समरसता, रामकथा में भातृप्रेम, रामकथा में पितृभक्ति, रामकथा में वसुधैव कुटुम्बकम, रामकथा में लोकतंत्र, शबरी के राम, संस्कृत वांगमय में राम, रामकथा में ऋषि परंपरा, रामायण और विज्ञान, सखाभक्ति और रामकथा, राम के शिव-शिव के राम, रामभक्त हनुमान, जड़-चेतन में राम, रामलीला का भारतीय संस्कृति में योगदान, राम वनगमन, राम और आस्था, लोकगीतों में राम, नारी सम्मान और रामकथा, तुलसी के राम, वाल्मीकि के राम, रामराज्य की परिकल्पना, लोकनायक राम सहित विविध सत्र आयोजित किए जाएंगे। इनमें श्रीराम के जीवन एवं दर्शन पर कार्य करने वाले विद्वानों के साथ ही विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, विषय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा। इसके साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों में क्षेत्रीय लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां कराई जाएंगी और प्रदर्शनियों में स्थानीय कलाकारों को प्रमुखता दी जाएगी। डॉ तिवारी ने बैठक में निर्देश दिया कि जल्द ही आयोजन की विस्तृत रूपरेखा तय कर ली जाय तथा नगरों के अनुसार तिथियों की घोषणा करते हुए आयोजन को भव्यतम रूप प्रदान करने की व्यवस्था की जाय। उन्होंने कहा कि सभी आयोजनों में कोविड-19 के मार्गदर्शन सिद्धांतों का कड़ाई से पालन भी सुनिश्चित कराया जाय। इस महत्वपूर्ण विशेष आयोजन का अवलोकन देश-विदेश के अधिक से अधिक लोग उठा सकें, इसके लिए विभिन्न चैनलों, यू-ट्यूब, वेबसाइट, फेसबुक आदि माध्यमों से सीधे प्रसारण की व्यवस्था भी सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया है। बैठक में संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम, संस्कृति विभाग के विशेष सचिव आनंद कुमार, अकादमी के प्रोड्यूसर तरुण राज, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कीर्ति सहित कई अधिकारी उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार/पीएन द्विवेदी

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