रक्षा सूत्र, यह साधारण धागा नहीं, रक्षा कवच है-कैप्टन संजीव
रक्षा सूत्र, यह साधारण धागा नहीं, रक्षा कवच है-कैप्टन संजीव

रक्षा सूत्र, यह साधारण धागा नहीं, रक्षा कवच है-कैप्टन संजीव

-सम्पूर्णानन्द संस्कृत विवि में सेना के जवानों के लिये मनाया गया रक्षा पर्व महोत्सव, सौंपा गया रक्षा सूत्र वाराणसी, 28 जुलाई (हि.स.)। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के योग साधना केन्द्र में मंगलवार अपराह्न देश की सीमाओं पर लगे सेना के जवानों की रक्षा के लिये "रक्षा पर्व" महोत्सव मनाया गया। महोत्सव में सेना के ग्रुप कैप्टन संजीव वसंत दोषी के मौजूदगी में महिला आचार्यों ने रक्षा सूत्र भेंट किया। इस अवसर पर ग्रुप कैप्टन ने कहा कि यह रक्षा सूत्र एक धागा मात्र नहीं बल्कि हम सभी सेना सेना के जवानों के लिये आप सभी बहनों एवं विद्वानों का स्नेह, आशीर्वाद और शुभकामनाएं हैं। ऐसी ही दुआओं से हम दुश्मन राष्ट्रों पर विजय प्राप्त करते हैं। आपके स्नेह, आशीर्वाद का यह रक्षा सूत्र समय पर सीमाओं पर लगे सेना के जवानों के पास पहुंच जायेगा। उन्होंने कहा कि फौज मे हमारी नियुक्ति जहां पर होती है, वहां हम सभी अपने परिवार के साथ किसी भी तरह का पर्व नहीं मना पाते। लेकिन उससे अधिक सुख हमें तब मिलता है, जब हम आप सभी जैसे लोगों के साथ मिलकर ऐसे पर्वों को मना पाते हैं। हम लोगों की पोस्टिंग घर से दूर होने से डाक के माध्यम से कभी समय पर राखी नहीं प्राप्त होती है,लेकिन आप जैसी बहनों के समूह के द्वारा प्रेषित रक्षा-सूत्र सदैव हम सभी को समय से प्राप्त होता है उसी को बांधकर आप सभी की दुआओं और आशीर्वाद से जुड़ जाते हैं। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने कहा कि हम जिस प्रांगण में में खड़े हैं, यह 229 वर्षों के इतिहास को समेटे हुये अपने विभिन्न ज्ञान स्रोतों की धारा से हम सभी को सिंचित कर रहा है। हमारे जवान सरहद पर विभिन्न तरह की चुनौतियों एवं परिस्थितियों में भी सदैव हम सभी की रक्षा करते हैं,जिस समय हम सभी निश्चिंत भावो से सो रहे होते हैं उस समय सेना के जवान माईनस शून्य डिग्री तापमान पर खड़े होकर हमारी सुरक्षा करते हैं। हमारे सेना के जवान और चिकित्सक अपरोक्ष रुप से परमात्मा स्वरुप हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कोरोना महाकाल का वातावरण चारों तरफ फैला है इसमें प्रारम्भ से अब तक स्वंय और अपने परिवार के जान की परवाह न करके ये सैनिक,पुलिस और चिकित्सक ही इस जंग मे लड़ रहे हैं। जिससे हम सुरक्षित रह सकें। कुलपति प्रो. राजाराम ने बताया कि यह पर्व यहां की अध्यापिकाओं, महिला कर्मचारियों एवं छात्राओं के द्वारा आयोजित किया जाता है। जिसमें "रक्षा सूत्र" नहीं बल्कि "रक्षा कवच" के रुप में यह धागा प्रेषित किया जाता है, इस कवच से हमारे राष्ट्र के सैनिक सुरक्षित रहें। इसके पहले मंगलाचरण और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सैन्य अफसरों का स्वागत प्रो. सुधाकर मिश्र, संयोजिका डॉ. विद्याचंद्रा, डॉ विशाखाशुक्ला ने किया। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/संजय-hindusthansamachar.in

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