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रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली से लग रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सपनों को पंख

-महाअभियान से रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्रणालीयुक्त होंगे सरकारी व गैर सरकारी भवन -सभी विभाग अपने-अपने विभागीय मद, मनरेगा से लगवाएंगे प्रणाली मीरजापुर, 31 मार्च (हि.स.)। भावी पीढ़ी को पेयजल संकट का सामना न करना पड़े, इसके लिए एक-एक बूंद जल का संरक्षण जरूरी है। जल संरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खासे गंभीर है, इसके मद्देनजर विकास कार्यों के साथ ही जल संरक्षण को भी प्राथमिकता पर रखा है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली से मीरजापुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जल संरक्षण के सपने को पंख लगने आरंभ हो गए हैं। जनपद के सभी सरकारी और बड़े गैर सरकारी भवनों में रूफटाप रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली के कार्यों की जल शक्ति मंत्रालय सीधी निगरानी कर रहा है। बारिश में जल संरक्षण करने के लिए महाअभियान के तहत जनपद के जिला मुख्यालय, चार तहसील, 12 ब्लाकों, पुलिस थाना, कार्यालय सहित लगभग 70 सरकारी विभागीय कार्यालय, कालेज, 60 राजकीय विद्यालय, 52 अशासकीय विद्यालय, 185 वित्तविहीन विद्यालय, 1611 प्राथमिक विद्यालय, 601 उच्च प्राथमिक विद्यालय, 06 मल्टी स्टोरी विद्यालय,10 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय, पुलिस विभाग, सिंचाई, बाण सागर, लोक निर्माण, लघु डाल, जल निगम, आरटीओ सहित सभी भवनों में रूफटाप रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगवाया जाएगा। जिलाधिकारी ने क्रियान्वयन के लिए अधिशासी अभियंता लघु सिंचाई दीपक कुमार को नोडल अधिकारी बनाया गया है। मुख्य विकास अधिकारी अविनाश सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकता के अनुसार जनपद के सभी भवनों को रूफटाप रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली युक्त किया जाना है। सभी सरकारी भवनों के साथ ही निजी भवनों को चिह्नित किया जा रहा है। जल्द ही सरकारी और बड़े गैर सरकारी भवनों को रूफटाप रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली से लैस किया जाएगा, जिससे जल संरक्षण हो सके। क्या है रूफटाप रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली रूफटाप रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली में वर्षा के जल का संग्रहण अथवा एकत्रीकरण किया जाता है। इस प्रणाली में घरों की छतों पर पड़ने वाले वर्षा जल को गैलवेनाईज्ड आयरन, एल्युमिनियम, मिट्टी की टाइलें अथवा कंक्रीट की छत की सहायता से जल एकत्रीकरण के लिए बने टंकियों अथवा भूजल रिचार्ज संरचना से जोड़ दिया जाता है। इस प्रकार एकत्रित जल का प्रयोग सामान्य घरेलू उपयोग के अलावा भूजल स्तर बढ़ाने में भी किया जाता है। बागवानी में कर सकते हैं प्रयोग शासन-प्रशासन द्वारा एक-एक बूंद को संरक्षित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। हम भी जागरूकता बरतते हुए वर्षा के जल को नालियों में बहने नहीं दें, बल्कि उसे संचित करें और उसका उपयोग बागवानी और घरेलू कार्य आदि में कर सकते हैं। हलिया, कोन व सिटी ब्लाक में जल स्तर में कमी जनपद स्तर पर प्री मानसून 2015 के सापेक्ष प्री मानसून 2020 में ही 0.50 मीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। जबकि जनपद स्तर पर पोस्ट मानसून 2018 के सापेक्ष पोस्ट मानसून 2019 में 1.32 मीटर की वृद्धि हो चुकी है। भूगर्भ जल विभाग के जूनियर इंजीनियर विक्रांत सिंह ने बताया कि जनपद स्तर पर प्री मानसून 2015 के सापेक्ष प्री मानसून 2019 में 0.62 मीटर की गिरावट उस समय दर्ज की गई थी। हालांकि मीरजापुर जनपद के विकास खंड छानबे में 2.18, जमालपुर 1.70, लालगंज 0.95, मझवां 0.01, मड़िहान 1.76, नरायनपुर 0.69, पहाड़ी 0.10, राजगढ़ 0.90, सीखड़ 0.07 मीटर जलस्तर में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। विकास खंड हलिया में 0.84, कोन 0.54, और सिटी 1.03 मीटर जल स्तर में कमी हुई है। क्रिटिकल श्रेणी वाले ब्लॉकों पर विशेष नजर जल स्तर के मद्देनजर जनपद के विकास खंड सिटी नगर, छानबे, मझवां और कोन को क्रिटिकल श्रेणी में रखा गया है। भूगर्भ जल विभाग के जूनियर इंजीनियर विक्रांत सिंह ने बताया कि सीखड़ ब्लॉक को सेमी क्रिटिकल श्रेणी में शामिल किया गया है। इन ब्लॉकों पर जल स्तर सुधारने के लिए शासन-प्रशासन द्वारा विशेष नजर रखी जा रही है। इन क्षेत्रों के सरकारी और गैर सरकारी भवनों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगवाया जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार/ गिरजा शंकर

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