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सुपोषण का पैगाम लेकर घर-घर पहुंच रहीं राधा, दो बच्चो के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी

बांदा, 07 मार्च (हि.स.)। दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा और पक्का इरादा हो तो कोई भी लक्ष्य नामुमकिन नहीं है। बड़ोखर ब्लाक के किलेदार का पुरवा (पल्हरी) की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता राधा पटेल इसकी बानगी हैं। कुपोषण के खिलाफ छिड़ी जंग को जीतने के उनके जज्बे का ही नतीजा रहा कि दो अति कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाकर उनके चेहरे पर मुस्कान बिखेरने में वह कामयाब रहीं। अभियान चलाकर गांव की सभी 109 किशोरियों को एनीमिया की जद में आने से बचाकर रखा है। कोरोना काल में लोगों को सुरक्षित बनाने को लेकर जागरूकता की उन्होंने अलख भी जगाई, जिसकी आज हर ओर तारीफ हो रही है। महिला दिवस के ही दिन, यानि 8 मार्च 2008 को राधा आंगनवाड़ी पद पर तैनात हुई थीं। घर-घर जाकर महिलाओं को उनके बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना शुरू कर दिया। 3 से 6 वर्ष तक के सभी बच्चों को आंगनवाड़ी भेजने के लिए प्रेरित किया। इस साल यहां 109 बच्चे पंजीकृत हैं। शून्य से 6 माह के 14, 6 माह से 3 साल तक के 56 और 3 वर्ष से 5 साल तक के 39 बच्चे शामिल हैं। 9 महिलाएं गर्भवती हैं। लगातार पौष्टिक आहार, नियमित टीकाकरण और समय-समय पर वजन व जांच से चार में से दो सामान्य श्रेणी में आ चुके हैं। केंद्र पर महिलाओं को बुलाकर पोषण व आयोडीनयुक्त भोजन के बारे में बताती हैं। बच्चों को साफ-सफाई रखने के साथ खुद भी भोजन बनाने या खाने से पहले हाथ धोने के तरीके सिखा रही हैं। मिट्टी की गोलियां बनाकर बच्चों को आकृति और संख्या का ज्ञान करा रही हैं। गांव में 11 से 17 साल तक की 109 किशोरियां हैं। इसमें स्कूल न जाने वाली एक किशोरी भी शामिल है। किशोरियों व उनके अभिभावकों में आयरन की गोलियों को लेकर भ्रांतियां थीं। अपने निरंतर प्रयास से इसको दूर किया। घरों व स्कूलों में जाकर किशोरियों में एनीमिया (खून की कमी) से होने वाली बीमारियों के बारे में बताया। अब किशोरियां आयरन की टेबलेट ले रही हैं। राधा का कहना है कि गांव में किसी भी किशोरी में खून की कमी नहीं है। वजन दिवस पर बच्चों को लाते हैं अभिभावक राधा ने बताया कि उन्होंने शुरूआत में जब गांव का सर्वे किया तो पाया कि लोग सरकार द्वारा चलाई जा रही आंगनवाड़ी योजना के बारे में कुछ खास नहीं जानते। उन्हें सिर्फ इतना पता है कि यह पंजीरी बांटने की योजना है। राधा ने लोगों को आईसीडीएस विभाग के बारे में बताया। इमसे चल रहे कार्यक्रम और गतिविधियों की जानकारी दी। उनका कहना है कि अब वजन दिवस पर लोग खुद बच्चे को लेकर आने लगे हैं। बच्चों के वजन और श्रेणी में बदलाव के बारे में जानने के लिए उत्सुकता दिखाते हैं। कोरोना काल में ग्रामीणों को किया जागरूक वैश्विक महामारी के दौर में दिल्ली से लौटे दो ग्रामीण जांच में कोरोना पाजिटिव पाए गए। राधा ने बताया कि उन्हें मेडिकल कालेज में भर्ती करवाया। इसके बाद ग्रामीणों को कोरोना के प्रति जागरूक करने के लिए घर-घर अभियान चलाया। बच्चों, महिलाओं व बुजुर्गों को खास सतर्कता बरतने की नसीहत दी। उन्हें साबुन से बार-बार हाथ धोने, मास्क पहनने व उचित दूरी बनाए रखने के बारे में जागरूक किया। इसका नतीजा रहा कि दो केस के बाद गांव में फिर कोई केस नहीं मिला। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल

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