pro-buddhist-community-is-heartbroken-by-the-death-of-arjun-tiwari-paid-tribute-through-social-media
pro-buddhist-community-is-heartbroken-by-the-death-of-arjun-tiwari-paid-tribute-through-social-media

प्रो. अर्जुन तिवारी के निधन से बुद्धजीवी समाज मर्माहत, सोशल मीडिया के जरिये दी श्रद्धांजलि

वाराणसी,24 अप्रैल (हि.स.)। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अर्जुन तिवारी के निधन से बुद्धजीवी समाज मर्माहत है। शनिवार को लोग प्रो. तिवारी के व्यक्तित्व और कृतित्व को याद कर सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देते रहे। कई लोग उनके आवास पर भी शोक जताने के लिए पहुंचे। 82 वर्षीय प्रो. तिवारी शुक्रवार को गोलोकवासी हो गये। देर शाम उनका अन्तिम संस्कार हरिश्चंद्र घाट पर हुआ। मुखाग्नि उनके छोटे पुत्र विमलेश तिवारी ने दी। पिछले कुछ दिनों से वे अस्वस्थ चल रहे थे। कुछ दिन पूर्व प्रो. तिवारी के पत्नी का भी देहांत हो गया था। प्रो. तिवारी 1996 से लेकर 2001 तक विद्वयापीठ में पत्रकारिता विभाग से जुड़े रहे। इस दौरान उन्होंने पत्रकारिता से जुड़ी कई पुस्तकें भी लिखी। उन्होंने भोजपुरी, अंग्रेजी और हिंदी शब्द कोश भी तैयार किया था । प्रो. तिवारी के निधन से दुखी वरिष्ठ पत्रकार शुभाकर दुबे ने उन्हें सोशल मीडिया के जरिये श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा कि ये पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने पत्रकारिता पर और भोजपुरी साहित्य में भी पुस्तके लिखी। शुभाकर दूबे ने उनसे जुड़ी स्मृतियों और अपने रिश्ते को भी साझा किया। काशी पत्रकार संघ के महामंत्री डाॅ अत्रि भारद्वाज ने श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि कुछ दिन पहले प्रो. तिवारी के बड़े भाई का निधन हुआ था, उसके बाद पत्नी का। इसके बावजूद प्रो. तिवारी पत्रकारिता और साहित्य जगत के कार्यो को करने से नही रूके। बीएचयू के भोजपुरी अध्ययन केंद्र के प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ला ने लिखा कि भोजुपरी साहित्य में आलोचना को सार्थक पहचान देने वाले हिंदी पत्रकारिता के मूर्धन्य हस्ताक्षर अर्जुन तिवारी का निधन भोजपुरी भाषा व साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति है। प्रो. अर्जुन तिवारी का जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में हुआ था। हिंदी और अंग्रेजी विषय में स्नातकोत्तर करने के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश में हिन्दी पत्रकारिता का उद्भव और विकास पर उन्होंने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। हिंदी पत्रकारिता के प्रतिष्ठित सम्मान बाबूराव विष्णु पराड़कर पुरस्कार उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा उन्हें प्रदान किया गया। दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा कर्नाटक द्वारा पत्रकारिता की विशिष्ट सेवा हेतु उन्हें अलंकृत किया गया। पत्रकारिता में शोध शिक्षण एवं लेखन के लिए उन्हें देश की अनेक संस्थाओं में सम्मानित किया गया। उनके प्रमुख पुस्तकों में स्वतंत्रता आंदोलन और हिंदी पत्रकारिता,आधुनिक पत्रकारिता जनसंचार और हिंदी पत्रकारिता, हिंदी पत्रकारिता का वृहद इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम और संदेश, आदर्श पत्रकारिता, वेब पत्रकारिता, राष्ट्रीय एकता सद्भाव सेतु शंकर. प्रबंध काव्य, दी सांग डिवाइन, जनसंपर्क सिद्धांत और व्यवहार आदि है। प्रो. तिवारी आजीवन लेखन कार्य में सक्रिय रहे। आपके निर्देशन में अनेक छात्र व छात्राओं ने शोध कार्य किया और देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों में अपनी महत्वपूर्ण सेवाएं दे रहे हैं। प्रो. तिवारी ने अनेक विश्वविद्यालयों में अपने महत्वपूर्ण व्याख्यानों से पत्रकारिता के शिक्षण को नई दिशा प्रदान की। विशेष कर डा हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय,सागर और गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर के पत्रकारिता विभाग में। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in