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मेडिकल कॉलेज में गर्भवती को मिलेगा समुचित उपचार

समस्या होने पर मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति विभाग में दिखा सकती हैं गर्भवती झांसी, 05 मई(हि.स.)। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए गर्भवती के बेहतर उपचार के लिए जनपद के मेडिकल कॉलेज को निर्धारित कर दिया गया है। मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति विभाग में आकर गर्भवती उपचार ले सकती हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जी के निगम ने बताया कि कोरोना के मद्देनजर गर्भवती को बेहतर उपचार मुहैया कराना चिंता का विषय बन गया था, क्योंकि सभी स्वास्थ्य इकाइयां टीकाकरण या कोविड के उपचार में व्यस्त हैं तो गर्भवती को समय पर उचित उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज को चुना गया है। इसके साथ ही 102 एंबुलेंस सेवा गर्भवती को लाने और ले जाने के लिए सुनिश्चित की गयी है। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.एन के जैन ने बताया कि जनपद के लगभग सभी अस्पतालों को कोविड सेंटर बनाया गया है। ऐसे में जो नॉन कोविड मरीज हैं वह ई-संजीविनी एप या पोर्टल के माध्यम से घर पर ही डॉक्टर का परामर्श ले सकते हैं। ऐसे में अब गर्भवती आपातकालीन प्रसव की स्थिति में मेडिकल कॉलेज में उपचार करा सकती हैं। उपचार से पहले होता है एंटीजन टेस्ट स्त्री एवं प्रसूति विभाग की अध्यक्ष डॉ. संजया शर्मा बताती हैं कि गर्भवती को सेवाएं देने से पहले उनको एंटीजन टेस्ट कराया जाता है, यदि वह कोविड पॉजिटिव निकलती हैं तो उन्हें कोविड वार्ड में भर्ती किया जाता है और यदि वह पॉजिटिव नहीं निकलतीं तो उन्हे सामान्य वार्ड में भर्ती किया जाता है। गर्भवती इन बातों का रखें विशेष ध्यान गर्भवती नियमित रूप से प्रसव पूर्व देखभाल के लिए किसी डॉक्टर से सलाह लेती रहें। यदि स्वास्थ्य केंद्र जाने की जरूरत पड़ रही है तो या तो खुद के वाहन या एंबुलेंस से ही जाना है। कोविड के समय गर्भवती बाहर बिलकुल न निकलें। यदि परिवार में किसी को कोविड के लक्षण हैं तो वह बाकी सभी परिवार के साथ गर्भवती के संपर्क में कतई न आएं। यदि गर्भवती में कोविड के लक्षण हैं तो वह डॉक्टर से सलाह के अनुसार उपचार करें और सही होने के बाद या कम से कम 14 दिन के बाद अल्ट्रासाउण्ड करायें। कोविड के प्रभाव ने मानसिक रूप से भी सबको बहुत प्रभावित किया है। ऐसे में गर्भवती अपने मानसिक स्तर को दुरुस्त रखें। इसमें परिवार की अहम भूमिका हो सकती है। हिन्दुस्थान समाचार/महेश

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