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प्रनाम चाची, गोड़ लगत बानी, हमार भौजी बीडीसी लड़त हई, आर्शीवाद दिहा

- त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में गांवों में बह रही सद्भावना लहर, सुबह शाम घर से खेत खलिहान तक पहुंच रहे उम्मीदवार और समर्थक वाराणसी,10 अप्रैल (हि.स.)। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के चलते जिले के गांवों में इन दिनों सदभावना की बयार बह रही है। गांव के बुजुर्ग और अधेड़ को देख प्रधान, बीडीसी,ग्राम पंचायत सदस्य के उम्मीदवार उन्हें रोक प्रनाम बोल पैर छू रहे है। परिजनों का हालचाल जानने के बाद अपने पक्ष में मतदान की अपील कर रहे है। सुबह शाम घर के सामने या दलान में बैठे बुजुर्गो और महिलाओं, खेत खलिहानों में घर के मलिकार (किसान परिवार के मुखिया) के पास प्रत्याशी और उनके समर्थक पैर छूकर आर्शिवाद लेने के बाद बताते है। फलाने पद के लिए लड़ रहे है। आपका समर्थन चाही। प्रत्याशी के घर वाले है तब बताते है हमार भौजी, बड़की माई प्रधानी, बीडीसी का चुनाव लड़त ह, ध्यान रखिहा। प्रत्याशियों के इस अंदाज को देख ग्रामीण भी मुस्करा कर उन्हें ही मत देने का भरोसा देते है। फिर दूसरा आता है तो उसे भी उसी अंदाज में भरोसा देते हैं। ग्रामीणों के ये अंदाज उम्मीदवारों के लिए भी पहेली बन गया है। ग्रामीण राजनीति के जानकार चौबेपुर गरथमा के ग्रामीण राजेश पांडेय,कादीपुर खुर्द के संजय पांडेय ने 'हिन्दुस्थान समाचार' प्रतिनिधि को बताया कि ग्रामीणों के सामने संकट है कि कैसे किसी को मना करे। दरअसल गांवों में जातीय आधार, रसूख, धनबल का प्रभाव अधिक है। मतदाता भी उसी आधार पर मतदान करते है। नये चुनाव लड़ने वाले व्यवहार बनाने पर खासा जोर दे रहे है। उन्होंने बताया कि जिले के 694 ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्य के लिए निर्धारित 8978 पद का यही हाल है। ज्यादातर गांवों की राजनीति निवर्तमान और पूर्व प्रधानों के परिवार या उनके समर्थकों के इर्द-गिर्द ही है। कुछ फीसदी गांवों में चमत्कार मान ले तो पढ़े लिखे नौजवान बाजी मार सकते है। लेकिन उनकी संख्या नगण्य होगी। जिला पंचायत सदस्य पद पर भी पूरा धनबल और पार्टी का बल ही चलेगा। ग्रामीण राजनीति के मठाधीशों की पूछ भी बढ़ गई है। संजय पांडेय ने बताया कि गांवों में प्रधानी और बीडीसी के उम्मीदवारों के साथ जिला पंचायत सदस्य के उम्मीदवार पैसा पानी की तरह बहा रहे है। रात में उनके समर्थक गांवों में रूपया, शराब, साड़ी, मुर्गा बांट रहे है। खासकर ऐसे परिवारों में जिनके यहां 25 से उपर सदस्य है उनकी काफी पूछ हैं। इसके अलावा जातिगत समीकरण भी बैठाया जा रहा है। बताते चले कि, जिले में कुल 17416 पर्चा दाखिल हुआ है। इसमें ग्राम प्रधान के 694 पद के लिए 5432, ग्राम पंचायत सदस्य के लिए निर्धारित 8978 पद के लिए 6314 पर्चा भरा गया है। इसी प्रकार जिला पंचायत सदस्य के 40 पद के 711 व क्षेत्र पंचायत सदस्य 1007 पद के लिए 4959 ने चुनाव मैदान में ताल ठोंकी है। नामांकन पत्रों की जांच के बाद कुछ लोगों का पर्चा अवैध घोषित होगा। इसके बाद नाम वापसी के बाद प्रत्याशियों की संख्या सामने आ जायेगी। जानकार बताते है कि डमी उम्मीदवार ही पर्चा ज्यादातर उठाते है। किसी-किसी गांव में रसूख वाले भी किन्हीं समीकरणों में अपना पर्चा उठा लेते हैं। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर

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