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अल्पसंख्यकों के सामाजिक समावेशन, शिक्षा, रोजगार, आत्मनिर्भरता से संभव : वसीम रजा

- लोकतान्त्रिक राजनैतिक भागेदारी से ही अल्पसंख्यकों का सामाजिक समावेशन होगा : प्रदीप जैन आदित्य - अल्पसंख्यकों का सामाजिक समावेशन: मुद्दे एवं चुनौतियां विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन झांसी, 25 मार्च (हि.स.)। ‘‘अल्पसंख्यकों के सामाजिक समावेशन के लिए शिक्षा, रोजगार और आत्मनिर्भरता आवश्यक है। सरकारी और गैर सरकारी सहयोग लेकर अल्पसंख्यक वर्ग न केवल अपनी सामाजिक, आर्थिक स्थिति सही कर सकता है, बल्कि राजनैतिक हिस्सेदारी भी बढ़ा सकता है। हम किसी भी जाति, वर्ग के हों, अभिभावकों को चाहिए कि भले ही वो एक समय की रोटी खायें, लेकिन अपने बच्चों को अवश्य पढायें।’’ यह बातें परमार्थ समाजसेवी संस्थान द्वारा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से ‘‘अल्पसंख्यक सामाजिक समावेशनरू मुद्दे एवं चुनौतियां’’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में गुरूवार को मुख्य अतिथि के रुप में सम्बोधित करते हुए पंजाब सरकार के पूर्व राज्यमंत्री वसीम रजा ने व्यक्त किए। राजकीय संग्रहालय सभागार में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि वसीम रजा ने कहा कि अल्पसंख्यकों के पिछड़ेपन की जब बात होती है, तो उसमें सबसे बडा तबका मुस्लिम अल्पसंख्यकों का आता है, जो हर तरीके से पिछडेपन का शिकार है। उन्हें समाज की मुख्य धारा से जुडने के लिए स्वयं आगे आना होगा तथा शासकीय योजनाओं का लाभ उठाकर अपना सशक्तिकरण करना होगा। उन्होंने कहा कि हम अल्पसंख्यक जो पिछड़े है उसमें स्वयं हमारी ही कमी रही है। अल्पसंख्यकों को अब हर क्षेत्र में शिक्षित होकर हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की जरूरत है। उन्होनें कहा कि मुस्लिमों को दिल में कुरान रखकर अपने हाथ में कम्प्यूटर पकड़ने की जरूरत है, ताकि वे समय के साथ कदमताल कर सकें। संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रुप में सम्बोधित करते हुए भारत सरकार के पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण राज्य मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने कहा कि सामाजिक असमानताओं को दूर करने के लिए सामाजिक भागेदारी बहुत जरुरी है। आज अल्पसंख्यकों के समक्ष शिक्षा, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा आदि समस्यायें हैं, इसको दूर करने के लिए लोकतान्त्रिक तरीके से राजनैतिक भागेदारी सुनिश्चित करनी होगी। उद्घाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि पेश इमाम मुफ्ती साबिर अंसारी ने कहा कि दीनी तालीम के साथ-साथ दुनियावी तालीम भी हमें बराबरी का हक दिलवा सकती है। बिना तालीम और बिना इल्म के हम मुर्दा के समान हैं। उन्होनें कुरान के संदर्भ में शिक्षा और भाईचारे के महत्व को बताया, वहीं शियाधर्म गुरु मौलाना सैयद सोने हैदर जैदी ने कहा कि जिंदा कौमें अपना इतिहास स्वयं लिखती हैं, हमें दूसरों का सहारा न लेकर स्वयं ही संघर्ष करना होगा, तभी हम सामाजिक-आर्थिक विषमताओं से मुक्ति पा सकते हैं। अतिथियों का स्वागत करते हुए परमार्थ समाजसेवी संस्थान के सचिव डा. संजय सिंह परमार ने कहा कि समाज के सभी वर्गों का सभी क्षेत्रों में समान प्रतिनिधित्व होना ही परिपक्व लोकतन्त्र की निशानी है। अल्पसंख्यकों के समक्ष आज विभिन्न क्षेत्रों के समक्ष जो चुनौतियां हैं, उनका समाधान समन्वित तरीके से करके हम समावेशी समाज की कल्पना को साकार कर सकते हैं। संगोष्ठी के विविध सत्रों को विषय विशेषज्ञों एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सम्बोधित किया गया। मण्डलीय श्रम उपायुक्त नदीम अहमद ने कहा कि महापुरुषों को अपना आदर्श बना कर हमें अपना लक्ष्य हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार का कार्य नीति बना देना ही काफी नहीं, उन नीतियों का लाभ जनता तक पंहुचें, इसके लिए हमें स्वयं जागरूक होकर आगे आना होगा, तभी सामाजिक समावेशन संभव है। बी.एच.ई.एल. के कल्याण अधिकारी डा. आफताब आलम ने कहा कि अल्पसंख्यकों की बिगड़ी सूरत सुधारने के लिए सामाजिक-आर्थिक-शैक्षिक सशक्तिकरण आवश्यक है। हमें पिछडेपन का रोना छोडकर जिम्मेदारी व गंभीरता से सरकारी अवसरों का लाभ लेना होगा। उन्होंने कहा कि हम आज भाषा, लिंग, क्षेत्र, आर्थिक स्थिति आदि तमाम विषमताओं में बंटें हैं, संस्कृतियों के आदान-प्रदान के माध्यम से हम सामाजिक समावेशन कर सकते हैं। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, उ.प्र. के पूर्व सदस्य डा. बृजेन्द्र सिंह बौद्ध ने कहा कि देश में सामाजिक ही नहीं आर्थिक समावेशन की भी आवश्यकता है। महापुरुषों ने हमेशा से ही इस अंतर को खत्म करने का प्रयास किया है। पर आज हम वापस उसी स्थिति में आकर खड़े हो चुके हैं। सामाजिक क्रांति के बिना बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती। फिल्म एवं टी. वी. अभिनेता आरिफ शहडोली ने कहा कि भागो नहीं दुनिया को बदलो, के फार्मूले से अल्पसंख्यकों की तकदीर व तदबीर बदल सकते हैं। सिक्ख धर्मगुरु ज्ञानी महेन्द्र सिंह ने कहा धर्म सिर्फ एक विचारधारा है, हम सकारात्मकता के साथ लक्ष्य निर्धारित कर अपनी विचारधारा में थोड़ा सा बदलाव कर समाज को आगे ला सकते हैं। हमारे लिए जरूरी है कि हम दूसरे धर्मों से भी अच्छी बातें सीखे। संगोष्ठी को डा. मो. फुरकान, डा. शारदा सिंह, डा. मुहम्मद नईम, अनिरुद्ध गोयल, समन खान, अजीत सिंह कोहली ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर शेख अरशद, हाफिज रियाज, अलीम अहमद खान, रईस खान, आकिब खान, सरफराज मासूम, मुकेश सिंघल, मो. महताब, अमरदीप बमोनिया, मो. फजल, संध्या निगम, रिहाना मंसूरी, प्रीति बौद्ध सहित एक सैंकडा प्रतिभागी उपस्थित थे। संगोष्ठी का प्रारम्भ अतिथियों द्वारा द्वीप प्रज्जवलन कर किया गया। सोनिया, अनुराधा, दिव्या, सबा खान, सना खान, अंकित साहू, धीरज कुमार, आदि द्वारा अतिथियों का स्वागत पुष्प भेंट कर व बैच लगाकर किया गया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. मुहम्मद नईम ने व आभार डाॅ. संजय सिंह ने व्यक्त किया। हिन्दुस्थान समाचार/महेश

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