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टोल प्लाजा मशीन डाटा के आधार पर ई-चालान की वैधता के खिलाफ याचिका खारिज

ओवरलोडेड वाहन अनलोड किये बगैर संचालन की अनुमति पर लगे रोक प्रयागराज, 26 जून (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजमार्गों पर स्थित टोल प्लाजा में लगे वाहन भार माप मशीनों के डाटा के आधार पर ई-चालान की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि प्लाजा पर लगी मशीनें सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रमाणित होने के नाते मान्य है। कोर्ट ने टोल प्लाजा पर ओवर लोड वाहनों को 150 रूपये लेकर जाने देने को सुप्रीम कोर्ट के प्रेमजीत भसीन केस के फैसले के विपरीत माना है और क्षेत्रीय परिवहन कमिश्नर उप्र लखनऊ को यह आदेश सरकार के समक्ष रखने का निर्देश दिया है, ताकि निर्देशों पर अमल हो सके। कोर्ट ने कहा है कि ओवरलोडेड वाहन के ड्राइवर या वाहन इंचार्ज के रिस्क पर अधिक भार खाली किये जाने के बाद ही चलाने की अनुमति दी जाय। अधिक भार उतारे जाने तक वाहन को प्लाजा से जाने न दिया जाय। सरकार एक माह में इसका पालन करे। क्योंकि ओवरलोडेड वाहन दुर्घटना का कारण बनते हैं। इसके संचालन को रोका जाय। कोर्ट ने आदेश की प्रति प्रमुख सचिव परिवहन को अनुपालनार्थ भेजे जाने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने सर्च आपरेटर एसोसिएशन मार्फत अध्यक्ष राजेश रूपानी की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि टोल प्लाजा पर ओवरलोडेड वाहन पकड़े जाने पर कानूनन ड्राइवर को एक घंटे के भीतर वजन मशीन एक्यूरेसी को चुनौती देने का अधिकार है। यह चुनौती ई-चालान मिलने के 15 दिन के भीतर भी दी जा सकती है। बाद में नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि जनवरी 20 में ओवरलोड पाये वाहनो का ई-चालान जून 20 में किया गया। इस खामी को दूर किया जाय। साथ ही टोल प्लाजा से ओवरलोड वाहन से शुल्क लेकर जाने दिया जा रहा है। जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उल्लंघन है। ओवरलोडेड वाहन के संचालन की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती जब तक भार मानक के अनुसार कम न किया जाय। इसके पालन की जिम्मेदारी परिवहन अधिकारियों की है। याचिका में परिवहन आयुक्त के 22 मई 20 के आदेश को चुनौती दी गयी थी। इसका कहना था कि कमिश्नर को ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन

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