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बुन्देलखण्ड के पाठा की बदरंग तस्वीर देखकर सहम जाते लोग

चित्रकूट,26 अप्रैल (हि.स.)। जिले के मानिकपुर इलाके के पाठा का नाम आते ही भुखमरी, अशिक्षा, सूखा व पेयजल को जूझते लोगों की तस्वीर बरबस सामने आ जाती है। जो इस इलाके से परचित हैं वे यहां की तस्वीर देखते ही सिहर उठते हैं। रात-दिन जूझ रहे लोगों की याद उन्हें भले न कचोटे, लेकिन इस इलाके की यादें ताजी हो जाती हैं। मानिकपुर पाठा क्षेत्र सदियों से खाकी और खादी ने उपेक्षित किया है। पर्याप्त संसाधन की सम्भावना होने के बाद भी लगातार प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हुआ है। पूर्व में ये इलाका दस्यु समस्या से लम्बे समय तक घिरा रहा है। हार-जीत की जंग में फंसे लोगों ने इस इलाके से पलायन करने के कोई यत्न नहीं किये। अपनी किस्मत से जूझते लोगों की ये तस्वीर आज भी बदरंग दिखाई देती है। पेयजल की समस्या से पाठा क्षेत्र का इलाका प्रतिवर्ष जूझता है। यहां पानी की समस्या विभिन्न गांवों में गर्मी के दिनों में बनी रहती है। इस बार भी पेयजल की भारी किल्लत तमाम गांवों में है। प्रत्येक वर्ष टैंकर से पानी की व्यवस्था की जाती थी। इस वर्ष टैंकर से भी पानी की व्यवस्था न होने से लोग खासे परेशान हैं। इसी क्रम में रामनगर ब्लाक क्षेत्र के कुआ, तालाब सूखने और हैण्डपम्पों के जवाब देने से ग्रामीणों को पेयजल नहीं मिल रहा है। शासन-प्रशासन हर वर्ष टैंकरों के माध्यम से पेयजल आपूर्ति करता रहा है। इस बार पुख्ता इंतजाम न होने से रामनगर ब्लाक के आधा दर्जन नल खराब पड़े हैं। ग्रामीणों को नदी, तालाब का सहारा लेना पड़ रहा है। हिन्दुस्थान समाचार / रतन

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