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ओपीडी बंद होने से ट्रामा सेंटर में मरीजों की थम रही है सांसे

- एक डॉक्टर के भरोसे चल रहा है ट्रामा सेंटर बांदा, 23 अप्रैल (हि.स.)। कोरोना महामारी की दूसरी लहर से मरीजों को बचाने के लिए जिला अस्पताल में ओपीडी सेवा बंद कर दी गई है। ओपीडी सेवा बंद होने से चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। ओपीडी बंद होने के कारण ही ट्रामा सेंटर में 10 गुना लोड बढ़ गया है और यहां मात्र एक डॉक्टर के भरोसे मरीजों का इलाज चल रहा है। जिससे बड़ी संख्या में मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। वही ओपीडी के डॉक्टरों को छुट्टी दे दी गई है जो घरों में आराम फरमा रहे हैं। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए शासन द्वारा सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा बंद कर दी गई। वही संक्रमित होने के डर से प्राइवेट डॉक्टरों ने भी मरीजों का इलाज बंद कर रखा है। ऐसे में विभिन्न बीमारियों से ग्रसित या दुर्घटना के शिकार लोग कहां इलाज कराएं। ले/देकर केवल ट्रामा सेंटर बचता है।ओपीडी बंद होने के कारण ही यहां मरीजों की संख्या 10 गुना बढ़ गई है जबकि इलाज करने के लिए मात्र एक डॉक्टर उपलब्ध रहता है। ऐसे में मरीजों के तीमारदार डॉक्टर को घेरे रहते हैं। कोई कहता है मेरे मरीज की ऑक्सीजन खत्म हो गई, कोई कहता है कि मेरे मरीज की हालत बिगड़ रही है, कोई दुर्घटना के शिकार मरीज को लेकर पहुंचता है और सीरियस बता कर जल्दी इलाज शुरू करने की बात करता है। तब अकेला डॉक्टर झुंझला जाता है जिससे मरीज के तीमारदारों का मनोबल गिरता है। वही एक अकेला डॉक्टर सभी मरीजों को नहीं देख पाता। यही वजह है कि यहां बड़ी संख्या में मरीजों की मौत हो रही है। संक्रमित मरीजों की हो रही है मौत सूत्र बताते हैं कि यहां बड़ी संख्या में ऐसे मरीज भी आते हैं जो कोरोना संक्रमित है। अकेला होने के कारण ट्रामा सेंटर के डॉक्टर द्वारा न तो उनकी जांच कराई जाती है और और न ही इस संबंध में तीमारदारों से बात की जाती है।अगर उनकी मौत हो जाती है तो लाश तत्काल तीमारदारों को सौंप दी जाती है। जिससे यहां मरने वाले मरीजों का आंकड़ा भी उपलब्ध नहीं है। बताया जाता है कि यहां ज्यादातर गंभीर मरीजों को लेकर लोग आते हैं जिनका इलाज भी शुरू नहीं हो पाता और वह दम तोड़ देते हैं। यही वजह है कि यहां दम तोड़ने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।एक चिकित्सक ने बताया कि ओपीडी बंद होने से ट्रामा सेंटर में मरीजों की संख्या बढ़ना स्वाभाविक है। ओपीडी बंद होने के बाद यहां के डॉक्टरों के छुट्टी दे दी गई है जो घरों में आराम कर रहे हैं। अगर ट्रामा सेंटर में डाक्टरों की संख्या बढ़ा दी जाए तो तो मरीजों की जान बचाई जा सकती है। डॉक्टरों की संख्या बढ़ने से मात्र एक डॉक्टर पर लोड नहीं रहेगा और इत्मीनान से इलाज हो सकता है। कोविड अस्पताल के कारण संक्रमण का खतरा जिला अस्पताल के अंदर इमरजेंसी वार्ड, महिला वार्ड, और मेल वार्ड हैं। इनमें से एक वार्ड में कई कोरोना पॉजिटिव मरीज भर्ती हैं । कोविड-19 अस्पताल और ट्रामा सेंटर में दूरी बहुत कम है जिससे ट्रामा सेंटर और कोविड-19 अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों का आना जाना रहता है। जिससे ट्रामा सेंटर आने वाले मरीजों को संक्रमण का खतरा बना हुआ है। बताया तो यह भी जाता है कि डॉक्टरों द्वारा 1-1 कोविड मरीजों को कम से कम चार स्वास्थ्य कर्मी देखते हैं जबकि यहां हकीकत कुछ और है यहां कोविड-19 अस्पताल में एक दो नर्स ही नजर आती है, डाक्टरों का कुछ अता पता नहीं रहता है। बाल-बाल बचे कई मरीज स्टाफ कम होने की वजह से यहां लापरवाही भी हो रही है।यहां के मरीजों को पाइप लाइन के जरिए ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाती है कल अचानक ऑक्सीजन खत्म हो जाने से कई मरीजों की सांसे उखडने लगी। बाद में जब जांच पड़ताल की गई तो पता चला कि पाइप में आक्सीजन नहीं है। जब मरीजों ने हंगामा मचाना शुरू किया तो करीब दो घंटे बाद महोबा से 5 जैंबो आक्सीजन आई। तब जाकर मरीजों को ऑक्सीजन मिली जिससे उनकी जान बच पाई। इस बारे में सीएमएस से बात की गई उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन के बारे में सीएमओ हुई कुछ बता सकते हैं।जब इस बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने यह कहकर टालमटोल करने की कोशिश की कि मैं इस बारे में सीएमएस से बात करूंगा। कुल मिलाकर जिम्मेदार अधिकारी भी इस मामले में एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं और समुचित इलाज न मिलने से मरीज जान गवा रहे हैं । हिन्दुस्थान समाचार/अनिल

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