parents-will-save-the-young-ones-from-the-third-wave-of-corona-dr-surendra-anand
parents-will-save-the-young-ones-from-the-third-wave-of-corona-dr-surendra-anand

नौनिहालों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाएंगे मां-बाप : डॉ सुरेंद्र आनंद

गाजियाबाद, 24 मई (हि.स.)। कोविड-19 की गिरफ्त में अब देश के नौनिहाल भी आने लगे हैं। दिल्ली व उत्तराखण्ड समेत देश के कई हिस्सों में बच्चों में कोरोना के लक्षण मिल चुके हैं। कोरोना की संभावित तीसरी लहर ने यदि बच्चों पर हमला बोला तो मंजर खौफनाक होगा। ऐसे डॉक्टर बचाव व सतर्कता के मंत्र दे रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर में बच्चे और महिलाएं ज्यादा प्रभावित होंगे। सरकार के साथ अब अभिभावकों को भी अपने नौनिहालों का जीवन बचाने के लिए और ज्यादा सक्रिय होना होगा। जिला महिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरेंद्र आनंद का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों का प्रभावित होना सबसे ज्यादा संभावित है। ऐसे में बाप-मां बाप की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। नौनिहालों को कोरोना की तीसरी लहर से मां-बाप ही बचाएंगे। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बताए गए उपायों पर शत प्रतिशत अमल करना होगा। डॉ. आनंद कहते हैं कि हम ना केवल खुद बल्कि अपने नौनिहालों को भी कोरोना जैसे महामारी से सुरक्षित बचा सकते हैं। उनका कहना है कि बच्चे कभी भी घर से नहीं जाते, जबकि उनके माता-पिता व परिवार के अन्य लोग बाहर आते जाते हैं। यानि बच्चे तो इस बीमारी को बाहर से लाएंगे नहीं, मगर इतना जरूर है कि यदि मां-बाप या परिवार के अन्य सदस्यों ने सावधानी नहीं बरती तो निश्चित तौर पर वह अपने घर में कोरोना जैसी बीमारी को लाएंगे। ऐसे में अभिभावकों व परिवार के अन्य सदस्यों की जिम्मेदारी बनती है कि वह बचाव के लिए कोरोना नियमों का शत प्रतिशत अमल करें। हिदायत देते हुए उन्होंने बिना मास्क के घर से ना निकलें। सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करें। घर आने पर साबुन से अच्छी तरह हाथों को जरूर धोएं। उन्होंने बताया कि बच्चों को बुखार, बदन दर्द, गले में खरास, गीली या सूखी खांसी, डायरिया, उल्टी दस्त, पेट दर्द, झटके लगना, बेहोश होना कोरोना के लक्षण हो सकते हैं। बच्चे में इस तरह का कोई लक्षण दिखाई दे तो तत्काल चिकित्सक के पास लेकर पहुंचे। उन्होंने कहा कि महामारी के इस दौर में घर में हमेशा कुछ दवाइयों कर रखना जरूरी है ताकि समय पड़ने पर उनका इस्तेमाल किया जा सके। इसमें बच्चों के लिहाज से पेरासिटामोल सिरप, मल्टीविटामिन्स की सीरप रखनी चाहिए। बच्चों को ज्यादा से ज्यादा नॉर्मल पानी पिलाया जाना चाहिए। हाई प्रोटीन व सन्तुलित डाइट बच्चों को खिलाएं। उनका कहना है कि हमें इस बीमारी से बचने के लिए खुद की और बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बेहतर बनाए रखना है। हिन्दुस्थान समाचार/फरमान

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in