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वैज्ञानिक तकनीक और प्रबंधन से लाभदायक होगी प्याज की फसल : डा. अरुण सिंह

— प्याज की फसल में खुदाई और भंडारण की आमदनी बढ़ाने में होती है अहम भूमिका कानपुर, 05 मई (हि.स.)। गर्मियों के दिनों में रवी की फसलों की कटाई व मड़ाई का कार्य तेजी से चल रहा है। इसी कड़ी में प्याज की फसल भी लगभग पककर तैयार खड़ी हुई है, लेकिन अगर इस फसल में किसान को बेहतर आमदनी करना है तो उसको वैज्ञानिक तकनीक के साथ प्रबंधन पर अधिक ध्यान देना होगा। क्योंकि इस फसल में खुदाई और भण्डारण दो ऐसे विषय हैं जिससे किसान आमदनी भी बढ़ा सकता है तो वहीं नुकसान भी उठा सकता है। यह बातें बुधवार को कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ उद्यान वैज्ञानिक डा. अरुण कुमार सिंह ने कही। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति डा. डीआर सिंह किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। विश्वविद्यालय से संबद्ध वैज्ञानिकों को बराबर लक्ष्य देते रहते हैं कि किसानों के लिए नई—नई जानकारी मुहैया कराई जाए। कुलपति के निर्देश पर दलीप नगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ उद्यान वैज्ञानिक डा. अरुण कुमार सिंह द्वारा प्याज उत्पादक किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में प्याज की फसल किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध होगी। लेकिन यह तभी संभव होगा कि जब प्याज की खुदाई उपरांत तकनीकी तथा भंडारण आदि क्रियाएं वैज्ञानिक तरीके से की जाए। उन्होंने बताया कि प्याज फसल की लगभग 50 फीसद पौधों का ऊपरी भाग झुक जाने तथा पत्तियां पीली पड़ जाने के एक सप्ताह बाद खुदाई करनी चाहिए। वर्तमान समय में क्षेत्र की अधिकांश फसल लगभग पक कर तैयार है। कटाई उपरांत प्रबंधन में प्याज कंदो पर ढाई से तीन सेंटीमीटर छोड़कर ऊपर की सूखी पत्तियों को हटा देना चाहिए। इसके पश्चात सड़े, गले व रोग ग्रस्त कंदो को हटाकर अलग कर देना चाहिए, फिर कंदो के आकार के आधार पर ग्रेडिंग की जाती है। आम तौर पर, सड़न के कारण नुकसान विशेष रुप से जून और जुलाई में भंडारण के प्रारंभिक महीने में चरम पर होता हैं। उच्च नमी के साथ मिलकर उच्च तापमान नुकसान का परिणाम बनता है, हालांकि प्याज के उचित ग्रेडिंग और गुणवत्ता एवं अच्छे वेंटिलेशन की स्थिति में सड़न के कारण नुकसान को कम कर सकते हैं। प्याज की पैकिंग के लिए जालीदार प्लास्टिक के बोरा का प्रयोग किया जाता है, जिससे हवा का पर्याप्त मात्रा में आवागमन बना रहे। भण्डारण के लिए मिलता है अनुदान वैज्ञानिक ने बताया कि आमतौर पर प्याज का भण्डारण मई माह में होता है जो नवम्बर तक के लिए रखा जाता है। प्याज भंडारण का तापमान एवं आर्द्रता कंदों के वजन में कमी, कंदों का अंकुर निकलना, सड़ना तथा कंदों की गुणवत्ता को भंडारण में प्रभावित करता है। पारंपरिक भंडारण में भंडारित कंदो का वजन एवं अन्य हानि होती है। इसलिए उन्नत भंडार गृहों का प्रयोग किया जाना आवश्यक है। प्याज का उन्नत भंडार गृहों का निर्माण ऊपर उठे हुए प्लेटफार्म पर बनाया जाता है। ताकि नीचे जमीन की नमी को रोका जा सके। बताया कि किसान भाई प्याज भण्डारण संरचना में मिलने वाले अनुदान के लिये जिला उद्यान अधिकारी के कार्यालय से सम्पर्क कर सकते हैं। इसमें 250 कुन्तल भण्डारण क्षमता वाले संरचना पर 87500 रुपये का अनुदान है, जिसका लाभ किसान भाई ले सकते हैं। विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डा. खलील खान ने किसान भाइयों से अपील की है कि वे कोविड-19 के दृष्टिगत कृषि कार्य करते समय शारीरिक दूरी अवश्य बनाए रखें। हिन्दुस्थान समाचार/महमूद/मोहित

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