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गंगा दशहरा में गंगा के घाटों पर मोक्षदायिनी गंगा की विधिविधान से हुई पूजा अर्चना

— गंगा मां की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए पहले पहर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी कानपुर, 20 जून (हि.स.)। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार आज के दिन ही मां गंगा स्वर्ग से धरती पर आई थी। इसीलिए कानपुर सहित देश के सभी गंगा घाटों पर सुबह श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त किया। इसके बाद दूसरे पहर कानपुर के लगभग सभी घाटों में मां गंगा की विधिवत पूजा अर्चना की गई और यज्ञ में आहुतियां भी दी गईं। इसके साथ ही पुजारियों व महंतों ने गंगा की महत्वा पर भक्तों के साथ प्रकाश डाला। गंगा दशहरा का त्योहार रविवार को शहर के सभी गंगा घाटों में मनाया गया। हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का काफी महत्व है। शहर के सिद्धनाथ घाट, सरसैया घाट, बिठूर घाट, अटल घाट, परमट घाट, भगवतदास घाट पर सुबह से ही लोग कोराना गाइड लाइन का पालन कर स्नान करके मां गंगा का आर्शीवाद लिये। हालांकि कोरोना काल होने के चलते इस वर्ष ज्यादातर लोग घर पर ही गंगा दशहरा को मनाया। बताया गया कि आज ही के दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर आई थी। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, गंगा दशहरा पर मां गंगा की पूजा करने से उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है। इस पावन मौके पर पतित पावनी गंगा में डुबकी लगाने में मनुष्यों को पाप से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है । गंगा में लगाई एक डुबकी व्यक्ति के भाग्य को बदल सकती है। गंगा दशहरे पर गंगा में डुबकी लगाने के बाद दान करने का विशेष महत्व है। ऐसा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। घर पर ही गंगा जल छिड़क कर स्नान करने से मिलता है पुण्य संत अरुण पुरी महाराज ने बताया कि गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान संभव नहीं हो तो बहती नदी, तालाब या सबसे अच्छा पवित्रता से घर में स्नान करें। घर पर ही स्नान के पानी में गंगाजल डालकर हर-हर गंगे का जाप करते हुए स्नान करना गंगा स्नान की तरह ही पुण्य फल दाई है। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित कर, घर में पूजा स्थान पर दीप जलाएं। देवी-देवताओं की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं। शाम को हुआ हवन यज्ञ गंगा दशहरा के पावन अवसर पर कानपुर शहर के लगभग सभी घाटों पर दूसरे पहर मोक्षदायिनी मां गंगा का विधिविधान से पूजन अर्चन व हवन यज्ञ किया गया। मां गंगा के भक्तों ने मां को चुनरी ओढ़ाकर हवन उपरांत आरती की। सिद्धनाथ घाट में भजन संध्या का भी आयोजन किया गया। परम पूज्य संत अरुण चैतन्यपुरी जी महाराज ने भक्तों को मां गंगा की महिमा बता कर सुख के प्रकारों को सरलता से समझाया। महंत चैतन्य पुरी जी ने कहा कि कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसमें अवगुण ना हो। मानव में गुण और दोष दोनों होते है। मठ मंदिर समन्वय समिति के अध्यक्ष मनोज शुक्ला ने महंत जी के निर्देशों का पालन कर व्यवस्थाओं को अनुशासन के साथ संभाला। हिन्दुस्थान समाचार/अजय

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