अपर मुख्य सचिव 'राज्य कर' के खिलाफ अधिकारियों ने खोला मोर्चा, हटाने की मांग

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लखनऊ, 08 जुलाई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर अधिकारी तथा कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों ने गुरुवार को एक बैठक कर अपर मुख्य सचिव 'राज्य कर' पर तानाशाही व्यवहार का आरोप लगाया और रोष प्रकट किया है।

बैठक में सभी संघों की ओर से अपर मुख्य सचिव 'राज्य कर' पर तानाशाही व्यवहार तथा लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन करने का आरोप लगाया। यह भी आरोप है कि वे संघों को अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान नहीं कर रहे हैं।

पदाधिकारियों ने कहा कि अपर मुख्य सचिव पर वाणिज्य कर मुख्यालय से बिना विचार विमर्श किये बाहरी लोगों के परामर्श को प्राथमिकता देते हैं। संघों ने उनकी इस कार्यपद्धति का भी विरोध करने का निर्णय लिया है। कहा कि अपर मुख्य सचिव 'राज्य कर' के कार्यालय से एसीपी प्रदान करने में मनमानी की जा रही है।

संघों की ओर से पदाधिकारियों ने मांग किया कि अपर मुख्य सचिव 'राज्य कर' को तत्काल हटाया जाए। कर्मचारियों को जानबूझकर जीएसटी व्यवस्था के चार वर्ष व्यतीत होने के उपरान्त भी कार्य दायित्व नहीं दिया गया। यदि कर्मचारियों को कार्य दायित्व प्रदान किया गया होता तो लाखों की संख्या में रिटर्न स्क्रूटनी हो पाती तथा राजस्व क्षरण को रोका जा सकता था।

यह निर्णय गुरुवार को लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित वाणिज्य कर भवन में उप्र वाणिज्य कर सेवा संघ, उप्र वाणिज्य कर अधिकारी संघ, उप्र वाणिज्य कर मिनि. स्टाफ एसोशिएशन, उप्र सांख्यकीय एसोसिएशन, उप्र आशुलिपिक संघ, उप्र मनोरंजन कर विभाग लिपिक संघ, उप्र वाहन चालक संघ, उप्र वाणिज्य कर संग्रह सेवा संघ तथा उप्र चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ की सामूहिक बैठक में लिया गया।

संघों ने कहा कि एक निर्धारित समयावधि के भीतर आईआईएम लखनऊ की रिपोर्ट के अनुसार कैडर पुनर्गठन किया जाय। कहा कि न होने की स्थिति में सभी संघों को आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

बैठक में राजवर्द्धन सिंह, कपिलदेव तिवारी, जय प्रकाश मौर्य, रवीन्द्र कुमार, सुरेश सिंह यादव, प्रेम प्रकाश, सुरेश, महेन्द्र सिंह समेत अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश

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