Lok Sabha Election: Congress, SP-BSP ऑल आउट, मोदी लहर में NDA मीरजापुर में बना पाएगी हैट्रिक?

UP News: मोदी लहर में 2014 और 2019 में इस सीट पर अपना दल सोनेलाल की अनुप्रिया पटेल ने जीत का परचम लहराया है। इस बार भी अनुप्रिया पटेल रिकोर्ड बनाएंगी या नहीं इस पर सस्पेंस बना हुआ है।
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वाराणसी, हि.स.। मीरजापुर लोकसभा सीट का अब तक का इतिहास रहा है कि यहां से कोई दल जीत का हैट्रिक नहीं लगा पाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लहर में लोकसभा के पांचों विधानसभा सीट छानवे, मीरजापुर, मंझवा, चुनार और मड़िहान पर भाजपा और उसके सहयोगी दलों का कब्जा है।

कांग्रेस लहर में दर्ज की सबसे अधिक जीत

ऐसे में वर्तमान सांसद और केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पास इतिहास रचने कर अवसर है। मीरजापुर सीट से चुने पहले सांसद कांग्रेस के जॉन एन विल्सन से लेकर दस्यु सुंदरी फूलन देवी, अजीज इमाम, वीरेंद्र सिंह, उमाकांत मिश्र को भी इस सीट से दो-दो बार जीत मिली है। देश के पहले आम चुनाव 1952 और दूसरे 1957 में कांग्रेस के टिकट पर जॉन एन विल्सन जीते थे। पिछड़ा, दलित, आदिवासी बाहुल्य वाली इस संसदीय सीट पर 1962 में कांग्रेस के पं.श्यामधर मिश्र ने जीत दर्ज कर पार्टी का दबदबा बरकरार रखा। 1967 में जनसंघ के वंश नारायण सिंह ने कांग्रेस से सीट छिन ली।

अगले आम चुनाव 1971 में कांग्रेस के अजीज इमाम ने फिर इस सीट को पार्टी के झोली में डाल दिया। फिर इमरजेंसी का दौर आया तो 1977 में जनता पार्टी के फकीर अली अंसारी ने फतह हासिल की। लेकिन जनता पार्टी सीट को अपने कब्जे में नहीं रख पाई।

राम मंदिर आंदोलन के दौरान BJP ने लहराया भगवा

1980 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की वापसी हुई तो यहां अजीज इमाम फिर से सांसद चुने गए। अगले साल उपचुनाव में कांग्रेस के ही उमाकांत मिश्र ने सीट जीती। 1984 में उमाकांत मिश्र दूसरी बार सांसद बने। विश्वनाथ प्रताप सिंह की लहर में 1989 में जनता दल के युसूफ बेग यहां से सांसद चुने गए। फिर आया राम मंदिर आंदोलन का दौर तो ये सीट 1991 में भाजपा के खाते में आ गई और वीरेंद्र सिंह सांसद बने। 1996 में सपा सरंक्षक मुलायम सिंह यादव ने दस्यु सुंदरी फूलन देवी को यहां से उतारा और वह सांसद बनीं। 2 साल बाद ही दोबारा चुनाव होने पर भाजपा के वीरेंद्र सिंह ने यह सीट सपा से छीन ली। 1 साल बाद 1999 में सपा की फूलन देवी ने फिर जीत हासिल की। फिर 2002 में रामरति बिंद सांसद बने। 2004 के चुनाव में बसपा के नरेंद्र कुशवाहा सांसद चुने गए। 2007 में रमेश दुबे और 2009 में सपा के बाल कुमार पटेल सांसद बने।

मोदी लहर में अनुप्रिया पटेल बनीं सांसद

इसके बाद मोदी लहर में 2014 और 2019 में इस सीट पर अपना दल सोनेलाल की अनुप्रिया पटेल ने जीत का परचम लहराया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा बसपा के गठबंधन के बाद भी भाजपा गठबंधन की अनुप्रिया पटेल को 5 लाख 91 हजार 564 वोट मिला। सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी रामचरित्र निषाद को 3 लाख 59 हजार 556 मत और कांग्रेस के प्रत्याशी ललितेश पति त्रिपाठी को केवल 91 हजार 501 मत ही मिल पाया था। इस चुनाव में अनुप्रिया पटेल को 53.34 प्रतिशत मत मिला था। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में अनुप्रिया पटेल को 4,36,536 मत कुल 42.32 फीसदी मत मिला था। दूसरे स्थान पर बसपा की समुद्रा बिंद को 2,17,457 लगभग 21.58 फीसदी मत मिला था। तीसरे स्थान पर कांग्रेस के ललितेशपति त्रिपाठी रहे। ललितेश को 1,52,666 कुल 15.15 फीसदी मत मिला था।

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