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मीरजापुर: वन विभाग के 446 बीघा भूमि का वरासत, विभाग मौन

- लालगंज तहसील के हलिया थाना के गोर्गी गांव का मामला - भूमि माफिया ने एक ही दिन में कर दिया सैंकड़ों बीघा भूमि का बैनामा - वरासत व वसीयत कराने वाले दो अलग-अलग लोग भूमि हथियाने में लगे - प्रशासन मामले को नहीं लिया गंभीरता से तो उभ्भा कांड की होगी कहानी मीरजापुर, 30 जून (हि.स.)। वन विभाग की 446 बीघा भूमि को वरासत कराकर सीलिंग एक्ट नियम के विरुद्ध एक व्यक्ति ने अपने नाम दर्ज करा लिया। कागजी खेल में 446 बीघा भूमि बतौर वरासत दर्ज कराते हुए कथित भूमि माफिया ने एक दिन में सैकड़ों बीघा भूमि का बैनामा कर दिया। वन विभाग इस भूमि का बचाव करने के बजाय मौन है। जबकि वरासत और वसीयत कराने वाले दो अलग-अलग लोग भूमि को हथियाने की कोशिश में है। प्रशासन इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया तो घोरावल के उम्भा गांव की तरह यहां भी खूनी संघर्ष की घटना से इंकार नहीं किया जा सकता। लालगंज तहसील क्षेत्र के हलिया थाना क्षेत्र के गोर्गी गांव में स्थित यह मामला प्रकाश में आया है। पूर्व में राजा विजयपुर रियासत की रही यहां लगभग साढ़े चार सौ बीघा भूमि फसली सन् 1356 में बाहरी व्यक्ति गोपाल लाल ने कागजी हेराफेरी कर अपने नाम दर्ज करा लिया था। इसके बाद बीते अंतराल में यह भूमि फारेस्ट विभाग के नाम चली गई, लेकिन कथित भू-माफियाओं की नजर इस भूमि पर पड़ गई और ऐन केन प्रकारेण हथियाने के लिए तहसील क्षेत्र के निवासी एक व्यक्ति ने कुटरचित कर अनरजिस्टर वसीयत करा लिया था। वसीयत कराने वाले ने पूरे भूमि का नामन्तरण अपने पक्ष में कराने के लिए लालगंज तहसीलदार न्यायालय में भू राजस्व अधिनियम अंतर्गत वाद दाखिल कर दिया था। इस दौरान कथित वसीयत कर्ता को मालूम हुआ कि यह भूमि फारेस्ट विभाग को दे दी गई है तो वसीयत के आधार पर वह व्यक्ति राजस्व परिषद लखनऊ में निगरानी दाखिल कर कहा कि हमे बिना सुने एक पक्षिय आदेश में भूमि फारेस्ट विभाग के पक्ष में कर दिया गया। इसमें राजस्व परिषद से स्थगन आदेश जारी कर लिया गया। तहसीलदार लालगंज ओमप्रकाश पांडेय ने बताया कि गोर्गी गांव में 446 बीघा भूमि के मामले में राजस्व परिषद लखनऊ ने वन विभाग के लिए किए गए एसडीएम के आदेश को निरस्त कर दिया है। वन विभाग ने इसमें कोई संज्ञान आज तक नहीं लिया। इसमें वरासत के लिए 1987 से तथा वसीयत के लिए 1995 से लड़ाई लड़ते रहे अब वरासत के पक्ष में आदेश हो गया है। एक अन्य तीसरा पक्ष भी अपने को भूमि का स्वामी बताते हुए तहसील न्यायालय में अपील किया है। मामला संज्ञान में है वरासत कराने वालों के अतिरिक्त बची भूमि पर नियमानुसार सीलिंग की कार्रवाई की जाएगी। वहीं एसडीएम लालगंज अमित कुमार शुक्ला ने बताया कि गोर्गी गांव में 446 बीघा भूमि के मामले में क्या है अभी तक मेरे संज्ञान में नहीं है। अब मामला संज्ञान में गया है तो इसकी जानकारी करेंगे। राजस्व परिषद ने सक्षम न्यायालय को भेज दिया वापस रिमांड राजस्व परिषद ने अपने आदेश में सक्षम न्यायालय उप जिलाधिकारी को रिमांड वापस भेज दिया। वन विभाग के पक्ष में सिर्फ आदेश हुआ था खतौनी में नहीं चढ़ा पाया था। राजस्व परिषद के स्थगन आदेश के बाद लगभग साढ़े चार सौ भूमि पुनः गोपाल लाल के खाते में आ गई। राजस्व निरीक्षक अदवा द्वारा गोपाल लाल के वारिस पुत्रों के नाम पूरी भूमि वरासत कर दिया। पुत्रों के नाम आते ही भूमि को बेचने की कवायद शुरू हो गई। उधर कथित वसीयत कराने वाले ने वरासत आदेश को निरस्त कराने के लिए विगत चार वर्षो पूर्व तहसीलदार न्यायालय में प्रार्थना-पत्र देकर राजस्व निरीक्षक द्वारा वरासत आदेश को स्थगित करा दिया। वर्तमान समय में तहसीलदार द्वारा स्थगन आदेश को निरस्त कर वरासत कराने वालों के नाम कर दिया गया। स्थगन आदेश निरस्त होते ही विगत दस दिन पूर्व एक दिन में 13 लोगों के नाम सैकड़ों बीघा भूमि पर रजिस्ट्री कर दी गई। मामला लगभग साढे चार सौ बीघा का होने के कारण पूरे क्षेत्र में यह चर्चा का विषय बनी हुई है। अधिवक्ताओं में बना चर्चा का विषय सक्षम न्यायालय उप जिलाधिकारी को राजस्व विभाग ने रिमांड वापस किया था। इस मामले की सुनवाई उप जिलाधिकारी न्यायालय में होनी चाहिए थी चूकि वन विभाग की भूमि से जुड़े इस मामले को लेकर अधिवक्ताओं में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि वरासत के आधार पर नाम दर्ज तो हो गया, लेकिन वसीयत कराने वाले व्यक्ति ने नामान्तरण के लिए तहसीलदार न्यायालय में अपील किया है। इसमें अगली तारीख 02 जुलाई 2021 मुकर्रर की गई है। इसमें असली हकदार वन विभाग मौन है। सीलिंग एक्ट को लेकर उठ रहा सवाल वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्र दत्त त्रिपाठी, राकेश कुमार दुबे ने सवाल किया है कि 1960 व 1972 में सीलिंग एक्ट लागू हुआ। इसमें एक व्यक्ति के नाम पठारी भूमि होने के नाते 72 बीघा से अधिक नहीं होना चाहिए तो 446 बीघा भूमि एक व्यक्ति के नाम कैसे बची रह गई। हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर

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