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नाबालिग पति को बालिग पत्नी के साथ रहने की अनुमति नहीं - हाईकोर्ट

नाबालिग को आश्रय स्थल में रखने का निर्देश प्रयागराज, 14 जून (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग पति की अभिरक्षा बालिग पत्नी को सौंपने से इंकार कर दिया। उसे सरकारी आश्रय स्थल में रखने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि नाबालिग पति को बालिग पत्नी के साथ रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। ऐसी शादी शून्यकरणीय है। यदि नाबालिग पति को उसकी बालिग पत्नी को सौंपा गया तो यह पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध होगा। 16 साल का पति अपनी मां के साथ भी रहना नहीं चाहता है। इसलिए उसकी अभिरक्षा कोर्ट ने मां को भी नहीं सौंपी और जिला प्रशासन को 4 फरवरी 22 (लड़के के बालिग होने तक) उसे सारी सुविधाओं के साथ आश्रय स्थल में रखने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि 4 फरवरी 22 को बालिग होने के बाद वह अपनी मर्जी से कहीं भी किसी के साथ जाने के लिए स्वतंत्र होगा। वह तब तक आश्रय स्थल में निवास करेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने लड़के की मां आजमगढ़ निवासी हौशिला देवी की याचिका पर दिया है। याचिका में मां ने अपने नाबालिग बेटे की अभिरक्षा की मांग की थी। याची का कहना था कि नाबालिग लड़के को किसी लड़की से शादी करने का विधिक अधिकार नहीं है। ऐसी शादी कानूनन शून्य है। कोर्ट के निर्देश पर लड़के को कोर्ट में पेश किया गया। बयान से साफ हुआ कि वह जबरन पत्नी के साथ रह रहा है। पत्नी से बच्चा भी पैदा हुआ है। कोर्ट ने कहा कि वह नाबालिग है। पत्नी की अभिरक्षा में नहीं रह सकता। बच्चे का हित देखा जायेगा। इसलिए बालिग होने तक सरकारी आश्रय स्थल में रहेगा। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन

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