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बांदा के प्राचीन 'छवि' तालाब में जहर से लाखों मछलियों की मौत

बांदा, 02 जून (हि.स.)। शहर में स्थित प्राचीन ऐतिहासिक छवि तालाब में आज उस समय हड़कंप मच गया जब तालाब की लाखों मछलियां मरी हुई पाई गई। साथ ही लाखों की तादाद में मछलियों के बच्चे पानी में तड़पते हुए नजर आई, जिनकी लगातार मौत हो रही है। शहर कोतवाली अंतर्गत बाम देवेश्वर पर्वत के समीप स्थित प्राचीन छवि तालाब है जिसमें हर साल धार्मिक कार्य होते हैं। इसी तालाब में कजली का मेला लगता है। कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने इसी तालाब में स्नान किया था। यह तालाब पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आता है इसलिए इस तालाब में मछली पालन का ठेका भी नहीं होता है। इस बारे में समाजसेवी और मत्स्य पालन के जानकार शोभाराम कश्यप ने बताया कि किसी जहरीली पदार्थों के कारण मछलियां मर गई हैं। किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा इसमें जहरीला पदार्थ डाला गया है जिसके प्रभाव में आकर इतनी तादाद में मछलियों की मौत हुई है। उन्होंने बताया कि यह मछलियां तालाब में स्वतः पैदा हो गई हैं। इन्हें ब्लैक चाइना के नाम से जाना जाता है और यह एक साल में दो बार बच्चे पैदा करती हैं। यही वजह है कि तालाब में इस समय लाखों की तादाद में मछलियां हैं। श्री कश्यप ने बताया कि गंदे पानी में कीटाणु मारने के लिए मेलाथियान जैसे पाउडर का कुछ लोग प्रयोग करते हैं संभवत ऐसे ही किसी विषैले पदार्थ के प्रभाव में आकर इन मछलियों की जान चली गई। मृत मछलियां लगभग बीस कुंतल हैं और अभी भी मछलियों के लाखों बच्चे पानी में उतरा रहे हैं जो कुछ ही देर में मर जाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर जल्दी ही मृत मछलियों को तालाब से नहीं हटाया गया तो प्रदूषण भी फैल सकता है जिसके प्रभाव में आसपास बीमारी फैल सकती है। बताते चलें कि, 02 साल पहले तत्कालीन जिलाधिकारी हीरालाल ने इसी तालाब से वार्तालाप कुआ तालाब बचाओ अभियान की शुरुआत की थी। यहां से एक जन जागरूकता रैली निकाली गई थी, जो दूसरे प्राचीन तालाब प्राचीन 'प्राची' तालाब में खत्म हुई थी। इसी तालाब में श्री राम लीला प्रागी तालाब द्वारा भगवान राम लक्ष्मण और सीता द्वारा सरयु नदी पार करने की लीला का मंचन भी होता रहा है। बाद में श्री राम व केवट के बीच संवाद की लीला भी होती थी। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल

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