पार्टी जिस रणनीति के साथ चुनाव में उतरी थी, उसका उन्हें फायदा जरूर हुआ होगा, लेकिन मायावती के चुनावी मैदान में प्रचार न करने का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ सकता है।