एक शताब्दी बाद श्रवण-धनिष्ठा नक्षत्र के साथ शिव और सिद्धि योग में महाशिवरात्रि
-काशी के छोटे बड़े शिवालयों में शिवशक्ति के मिलन की घड़ी का साक्षी बनने के लिए लोग तैयार, शिव बारात निकालने की तैयारी वाराणसी,10 मार्च (हि.स.)। धर्म नगरी काशी में महाशिवरात्रि पर्व को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह है। अपने आराध्य काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ और आदि शक्ति मां पार्वती के मिलन (पाणिग्रहण) की घड़ी का साक्षी बनने के लिए बुधवार को लोग पूरे उत्साह के साथ छोटे-बड़े शिवालयों में साफ सफाई के बाद सजावट में जुटे रहे। ग्रामीण अंचल के साथ शहर के विभिन्न मोहल्लों में शिवमंदिरों को सजाने के साथ शिव बारात निकालने की भी तैयारी चलती रही। फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि महाशिवरात्रि इस बार गुरूवार को दुर्लभ संयोग में है। महापर्व पर श्रवण-धनिष्ठा नक्षत्र के साथ शिव योग और सिद्धि योग बन रहा है। ज्योतिषविद मनोज उपाध्याय बताते हैं कि 100 साल बाद महाशिवरात्रि पर यह शुभ संयोग बना है। ये संयोग देश और समाज के लिए भी सुखद है। इससे इस बार पर्व भी खास हो गया है। यह योग 23 घंटे तक रहेगा। नक्षत्र धनिष्ठा 11 मार्च को रात 09 बजकर 45 मिनट तक रहेगा उसके बाद शतभिषा नक्षत्र लग जाएगा। महाशिवरात्रि के दिन शिव योग 09 बजकर 24 मिनट तक, उसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा। उन्होंने पंचागों का हवाला देकर बताया कि गुरूवार को चतुर्दशी तिथि दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर 12 मार्च शुक्रवार को दोपहर तीन बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी। महाशिवरात्रि के दिन पूजा का पहला पहर शाम 6 बजकर 27 मिनट से लेकर 9 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। दूसरा पहर रात 9 बजकर 29 मिनट से लेकर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। तीसरा पहर रात 12 बजकर 31 मिनट से लेकर सुबह 03 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। चौथा पहर 12 मार्च को भोर तीन बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। उन्होंने बताया कि इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। साल में 12 मास शिवरात्रियों में महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण होती है। महाशिवरात्रि पर्व का उल्लेख गरुड़ पुराण, पद्म पुराण, स्कंद पुराण, शिव पुराण तथा अग्नि पुराण में भी है। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर