लखनऊ, हि.स.। भारत का हृदय स्थल कहा जाने वाला उप्र भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा का केंद्र प्राचीन काल से ही रहा है। प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के समर्थन से देश और दुनिया में आज एक विशिष्ट स्थान बना रहा है। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कही। उत्तर प्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर शिल्पग्राम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये बीत कही। इस अवसर पर अपने-अपने क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले लोगों को सम्मानित भी किया गया।
विकास के मार्ग पर चला उत्तर प्रदेश
उन्होंने कहा कि युवाओं की प्रतिभाओं के बावजूद यहां संकट था। उस समय उप्र की सरकार गठन होने पर उस समय के तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने इस बात का स्मरण कराया और उसके बाद स्थापना दिवस पर अपने कार्यों को स्मरण कराने का कार्यक्रम शुरू हुआ। स्थापना दिवस हमारे लिये बहुत महत्वपूर्ण है। आज अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला की स्थापना होना और प्रदेश के स्थापना दिवस की बधाई देता हूं। यह अपनी परंपरा को प्रगति के रूप में आगे बढ़ाने का मौका होता है। 2018 से आज तक की प्रगति हमारे सामने हैं। पहले यहां का स्पोर्ट 88 हजार करोड़ रुपये का था। आज यह लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का प्रोडक्टर अकेले उप्र से हो रहा है। जब दुनिया भर के लोगों ने नोएडा में आकर देखा तो वे सब आकर्षित हुए।
आत्मनिर्भर भारत में उत्तर-प्रदेश की भूमिका
उन्होंने कहा कि उप्र के अंदर विश्वकर्मा सम्मान को हम लोगों ने आगे बढ़ाया। यह महात्मा गांधी के गांव की परिकल्पना को साकार करता है। इस कार्यक्रम में हस्तशिल्पियों को सस्ते दर पर लोन उपलब्ध कराने का कार्यक्रम था। इसके तहत प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार कर रही है। तीसरे स्थापना दिवस पर सीएम अपरेंटिसशिप कार्यक्रम शुरू किया था। इसमें आज युवा भारी संख्या में जुड़ रहे हैं।
2017 के बाद का उत्तर-प्रदेश
उन्होंने कहा कि हमने अतीत से क्या सीखा है। यह स्थापना दिवस जानने का अवसर होता है। इसके माध्यम से हमें अतीत से सीख लेकर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। 2017 के बाद उप्र ने सुरक्षा व्यवस्था पर हमने काम किया। आज परिणाम सबके सामने है। हमने इंफ्रास्ट्रक्चर का काम शुरू किया। आज हमारे पास बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर है। इंटरस्टेट कनेक्टिविटी भी आज बेहतर हुई है। हमारे किसानों, उद्यमियों ने हर क्षेत्र में बेहतर करने का प्रयास किया है, लेकिन उसे और बेहतर बनाने की जरूरत है।
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