Lok Sabha Elections 2024: सांसद दानिश अली ने थामा मिला कांग्रेस का हाथ, मायावती ने BSP से कर दिया था बाहर
नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए बड़ी सियासी खबर सामने आई है। इस खबर के अनुसार आज कांग्रेस को उत्तर प्रदेश से भी एक खास चेहरा मिल गया है। कभी बहुजन समाज पार्टी के सदस्य रहे दानिश अली ने आज बुधवार को कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया है। अमरोहा लोकसभा सांसद दानिश अली ने राजधानी दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। इसके साथ ही बिहार से भी कांग्रेस के लिए बड़ी खबर समने आई है। जहां बिहार में जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी का विलय भी कांग्रेस में करने का ऐलान किया है। अब वो पूर्णिया से लोकसभा चुनाव भी लड़ सकते हैं।
गरीब, वंचित, पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करने का वक्त- दानिश अली
आपको बता दें कि कांग्रेस मीडिया के प्रमुख पवन खेड़ा की मौजूदगी में दानिश अली कांग्रेस में शामिल हुए। पवन खेड़ा ने गुलदस्ता देकर यूपी के खास राजनीतिक चेहरे को अपनी पार्टी में शामिल किया है। दानिश अली ने कांग्रेस में शामिल होने के बाद कहा कि आज देश के जो हालात हैं, वो किसी से छिपी नहीं है, एक तरफ विभाजनकारी शक्तियां हैं। और दूसरी तरफ देश के गरीब, वंचित, पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करने वाले लोग हैं। आज हम एक दोराहे पर खड़े हैं, जहां से हम इस तरफ या उस तरफ जाने का फैसला ले सकते है। आज मेरे फैसला लेने का वक्त आ गया है। हमें विभाजनकारी शक्तियों से लड़ना है। लेकिन इनसे लड़ने के लिए कुछ अड़चनें आ रही थी। इसलिए मैंने ये फैसला लिया है और कांग्रेस का हाथ थाम लिया है।
मैं बहुत गहन चिंतन के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं- कुंवर दानिश अली
गौरतलब है कि कुंवर दानिश अली कभी बहुजन समाज पार्टी का अहम हिस्सा थे। दिसंबर 2023 में बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते दानिश अली को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। दानिश अली मायावती की पार्टी के कद्दावर नेताओं में से एक थे। संसद में कांग्रेस से बढ़ती नजदीकियों को उनके निष्कासन का कारण माना जा रहा था। अब उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी से मेरी लगातार बात हो रहती थी। मैं बहुत गहन चिंतन के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा हुं। देश की मौजूदा स्थिति को देखकर मेरे पास यही विकल्प था।
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