UP News: धान की पैदावार बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक ने बताए साइंटिफिक तरीके, इन तकनीक को अपनाने से होगा फायदा

UP News: डॉ.पांडेय ने बताया कि बासमती धान की रोपाई जुलाई में शुरू की जाती है। किसानों ने इस वर्ष जुलाई के पहले सप्ताह से बासमती धान की रोपाई का काम शुरू कर दिया है।
धान की पैदावार बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक ने बताए साइंटिफिक तरीके
धान की पैदावार बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक ने बताए साइंटिफिक तरीके

कानपुर, हि.स.। बारिश की शुरुआत होते ही किसान वैज्ञानिक विधि एवं सावधानियां करके बासमती धान की रोपाई करें तो पैदावार अच्छी होने के साथ-साथ लाभ भी होगा। यह जानकारी शनिवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विज्ञान विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने दी। उन्होंने किसान भाइयों से अपील किया है कि बासमती धान की रोपाई से पूर्व कृषि अधिकारी से जानकारी लेकर इस धान की रोपाई समय से कर दें, जिससे अधिक लाभ होगा।

कौन सा समय है उपयुक्त बासमती धान की रोपाई

डॉ.पांडेय ने बताया कि बासमती धान की रोपाई जुलाई में शुरू की जाती है। किसानों ने इस वर्ष जुलाई के पहले सप्ताह से बासमती धान की रोपाई का काम शुरू कर दिया है। इस वर्ष किसानों को अपनी धान फसल से अच्छी उम्मीदें हैं, क्योंकि यह उनकी मुख्य फसल है। फसल को सही समय पर रोपाई न करने की स्थिति में, उसका उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।

धान की रोपाई के दौरान कौन सी सावधानियां रखना आवश्यक

बासमती धान की रोपाई के लिए उचित जलवायु का चयन करें। धान की खेती के लिए अच्छी तरह से तैयार की गई मिट्टी मुख्य रूप से जल पाने की क्षमता रखने वाली आवश्यक होती है। इसके अलावा धान के लिए सही तापमान और जलवायु भी आवश्यक हैं।

बीज का चयन भी बहुत महत्वपूर्ण

उचित बासमती धान बीज का चयन करें। प्रमाणित और गुणवत्तापूर्ण बीज खरीदें जो वैज्ञानिक विश्लेषण और गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हैं। यह किसानों को अच्छी पैदावार और मजबूत फसल की गारंटी देगा।

उपयुक्त रोपाई दूरी

डाक्टर पांडेय ने बताया कि बासमती धान की रोपाई करते समय उचित रोपाई दूरी का पालन करें। धान के पौधे को 15 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं। इससे पौधों को पर्याप्त जगह मिलेगी और उनकी विकास नहीं होगी।

खरपतवार और कीटनाशक

रोपाई के 02 दिन बाद धान पौधों में खरपतवार नाशक दवाई डालें। इसके बाद एक सप्ताह के बाद धान खेत में दीमक या कीटों की रोकथाम के लिए क्लोरोपाइरीफास दवाई डालें। इसके अलावा आवश्यकता अनुसार चेपा और अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए उपयुक्त दवा का उपयोग करें।

उपयुक्त खाद का उपयोग

पौधों को पोषण के लिए उचित खाद का उपयोग करें। बासमती धान के लिए आधा कट्टा डीएपी और एक कट्टा यूरिया प्रति एकड़ खेत में डालें। यूरिया खाद डालने का काम धान लगने के 45 दिन तक पूरा कर लें। यह सुनिश्चित करेगा कि पौधे पूर्ण रूप से विकसित हों और अच्छी पैदावार हो।

नियमित देखभाल

डॉ.पांडेय ने बताया कि धान की फसल को नियमित देखभाल की आवश्यकता होती है। आपको फसल में खरपतवार और रोगों की जांच करनी चाहिए और उन्हें समय रहते रोकथाम करनी चाहिए।

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