कुशीनगर में कजरी गीतों की धुन पर झूमे श्रोता
-बदलते दौर में भी कजरी जस की तस-रजनीकांत -संस्कार भारती का आयोजन कुशीनगर, 31 जुलाई(हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अनुषंगी संस्कार भारती के कजरी महोत्सव में गायकों ने कजरी की कई विधाओं को प्रस्तुत कर वाहवाही बटोरी। संगीत की धुन पर विरह, वेदना व श्रृंगार रस में पगे गीतों को सुन श्रोता भावविभोर हो उठे। गुरुवार देर शाम को महर्षि अरविंद विद्या मंदिर में महोत्सव का शुभारंभ करते हुए विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने कहा कि पूर्वी उत्तरप्रदेश व बिहार की लोकगायन शैली कजरी विदेशों में भी गई। मॉरीशस, सूरीनाम, फिजी, गुयाना समेत दुनिया के अनेक देशों में भारतीय लोक संस्कृति को भी ले गए, कजरी भी उनमे प्रमुख है। उन्होंने कहा कि बदलते दौर में गीत संगीत के अन्य विधाओं में तेजी से बदलाव आ रहा है, परन्तु कजरी जस की तस है। लगभग सभी प्रमुख गायकों व वादकों ने कजरी की पीड़ा को सुर दिए हैं। 14 वीं शताब्दी के प्रसिद्ध कवि अमीर खुसरो ने कजरी लिखी व गाई। इसी से इसकी महत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है। संस्कार भारती लोक परम्परा व संस्कृति की इस विधा को अक्षुण्य रखने व इसके प्रसार को वैश्विक स्तर पर और मजबूत बनाने के लिए प्रयासरत है। इसके पूर्व अर्चना श्रीवास्तव के गणेश वंदना से कजरी गायन का प्रारम्भ हुआ। वन्दना की देवी स्तुति, सुनन्दा की मिर्जापूरी कजरी 'पिया सड़िया मंगा द मोती झील से.. प्रस्तुत कर वाहवाही बटोरी। दिनेश तिवारी भोजपुरिया, सुनील मिश्र, अभिषेक सिंह, अशोक कुमार, जगदीश सिंह, किरण, पूजा, मंशा, गुलाब, रामाशीष, सुभाष आदि के भी गीत सराहे गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अनिल कुमार सिन्हा ने की। आभार ज्ञापन अधिवक्ता आलोक कुमार श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर अशोक जैन, प्रचारक आलोक, प्रचारक विशाल, राकेश जायसवाल, अरुण राय, अमित मिश्र, बाबू चकमा, देवेंद्र राय, आदित्य तिवारी आदि उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/गोपाल/राजेश-hindusthansamachar.in