जूनून: सूबेदार के जज़्बे से युवाओं को मिली दिशा, सेना के लिए हो रहे तैयार
रजनीश पाण्डेय रायबरेली, 03जून(हि.स.)। सेना के अनुशासन, देश प्रेम और कर्तव्य परायणता को आत्मसात कर चुका एक जवान जब सेवानिवृत्त होकर घर वापस आता है तो उसका यह जज़्बा कम नहीं होता, बल्कि यह जूनून में बदल जाता है। अब यही जूनून युवाओं को एक दिशा दे रहा है। सेना से सेवानिवृत्त होकर लौटे सूबेदार पवन सिंह का एक ही लक्ष्य है कि क्षेत्र के युवाओं को सेना में भेजने का। इसके लिए वह लड़के और लड़कियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं।प्रशिक्षण के लिए उन्होंने किसी से कोई मदद नहीं ली, बल्कि अपने गांव में ही ख़ुद की पांच बीघे उपजाऊ जमीन को ही खेल का मैदान बना डाला। दो वर्ष से चल रहे इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कई युवा सफल हुए हैं और पुलिस, सेना,अर्ध सैनिक बल जैसी सेवाओं में भर्ती हुए हैं। यह देखकर और भी युवा इसकी ओर रुचि ले रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यह सब प्रशिक्षण पूरी तरह निःशुल्क होता है। कई सत्रों में इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को बांटा गया है और प्रतिदिन सुबह और शाम शारिरिक के साथ-साथ विषयगत और सैद्धान्तिक तैयारी भी कराई जाती है। इसके साथ ही इन युवाओं को विभिन्न खेल प्रतियोगिता के लिये भी तैयार किया जाता है। यहां के कई बच्चे विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में अपना दबदबा कायम कर चुके हैं। देश प्रेम के जज़्बे को बढ़ावा सूबेदार पवन सिंह का सोचना है कि वर्तमान युवा पीढ़ी बहुत कुछ कर सकती है, बशर्ते इन्हें एक दिशा दी जाय और इनके समय का सदुपयोग हो। इसके लिए उन्होंने 'जय हिंद युवा सेना' का गठन किया और इसके माध्यम से युवाओं को जोड़ा। संगठन द्वारा समय समय पर कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं जिसमें युवा अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करते हैं। देश प्रेम से ओतप्रोत इन कार्यक्रमों का युवाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उपाध्यक्ष कैप्टन अवधेश सिंह व महामंत्री कुमकुम सिंह का कहना है कि युवाओं में देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी का भाव जाग्रत हो, इसके लिए संगठन प्रयासरत है और इसका सकारात्मक असर युवाओं में देखने को मिल रहा है। सेना में अपनी प्रतिभा से बनाया मुकाम रायबरेली में सरेनी के गौतमन खेड़ा निवासी सेवानिवृत्त सूबेदार पवन सिंह 1986 में सेना में भर्ती हुए थे, लेकिन अपने जज्बे और मेहनत के बल उन्होंने कई मुकाम हासिल किए। उन्हें सेना में अनेक प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुए और नौकरी के दौरान ही उन्होंने कई तरह के प्रशिक्षण भी पूरे कर लिए। 1999 में कारगिल युद्ध में भी उन्होंने अहम मोर्चे पर लड़ाई लड़ी और लेबनान में शांति सेना में शामिल हुए। वह एनएसजी में भी रहे और तीन साल तक सैनिकों को प्रशिक्षित भी किया। सूबेदार पवन सिंह का कहना है आज की कड़ी प्रतियोगिता के दौर में ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को सेना में जोड़ा जाय, इसके लिये वह आवश्यक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाते हैं,साथ ही युवाओं में देश प्रेम के जज़्बे को पैदा करने के प्रयास किये जा रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/