जापान की मियावाकी पद्धति से होगा प्रयागराज का उद्धार
जापान की मियावाकी पद्धति से होगा प्रयागराज का उद्धार

जापान की मियावाकी पद्धति से होगा प्रयागराज का उद्धार

प्रयागराज, 04 जुलाई (हि.स.)। प्रयागराज नगर निगम द्वारा पहली बार जापान की मियावाकी पद्धति से पौधरोपण का कार्य आरम्भ किया जा रहा है। पूर्व में इस पद्धति से कई देशों में सफलता पूर्वक पौधरोपण का कार्य किया जा चुका है तथा वर्तमान में भारत वर्ष के कई शहरों में इसका प्रयोग किया जा रहा है। प्रयागराज शहर के जोन-1 के अन्तर्गत ट्रान्सपोर्ट नगर वार्ड में गरीबदास चौराहे के पास स्थित पार्क में मियावाकी पद्धति से पौधरोपण का कार्य 1100 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में 05 जुलाई को कराया जायेगा। पहले यह पार्क पूरी तरह से अतिक्रमित था जिसमें बिल्डिंग मटेरियल का व्यवसाय किया जा रहा था। इसे नगर निगम की अतिक्रमण टीम द्वारा पूरी तरह से खाली करा लिया गया है। प्रयागराज के उक्त पार्क में पहली बार मियावाकी पद्धति से लगभग 4500-5000 पौधे लगाये जायेंगे। जिनमें मुख्य रूप से आम, बेल, जंगल जलेबी, पीपल, बरगद, पाकड़, नीम, जामुन, अर्जुन, कंजी, सागौन, शहतूत, अमलतास, गुलमोहन, मैटरफेरम, आंवला, अशोक, गुलमोहर आदि के पेड़ लगाये जाने है। निगम के जन सम्पर्क अधिकारी ने बताया कि मियावाकी पद्धति से वृक्षारोपण कराये जाने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले मिट्टी में डीएपी खाद, लकड़ी का बुरादा, वर्मी कम्पोस्ट, कीटनाशक आदि का इस्तेमाल किया जायेगा। आमतौर पर पूरे भारत में सामान्य तौर पर गड्ढे खोदकर पौधे लगा दिये जाते हैं, लेकिन इसके बाद पौधों को तैयार होने में अधिक समय लगता है और उनकी सुरक्षा भी करनी होती है। जापानी पद्वति की मियावाकी तकनीक से यह पौधे 15 से 20 साल में सघन वन का रूप ले लेते हैं। जबकि सामान्य पद्वति में वन बनने में सौ साल से अधिक का समय लग जाता है। परिणाम सार्थक आने पर नगर निगम क्षेत्र में अन्य स्थलों पर भी इस पद्धति से पौधरोपण किया जायेगा। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/राजेश-hindusthansamachar.in

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