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अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस: स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रकृति का पोषण विषय पर वेबीनार आयोजित

झांसी, 22 मई (हि.स.)। रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय में कुलपति प्रोफेसर अरविंद कुमार की अध्यक्षता में अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता के उपलक्ष्य में वेबीनार का आयोजन किया। इसका विषय स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रकृति का पोषण रहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. अरविंद कुमार ने की। उन्होंने घटी हुई जैव विविधता पर चिंता जताते हुए बताया कि पहले किसान जहां विभिन्न फसलों को अपनी कृषि में स्थान देते थे वही आज के किसान सिर्फ एक या दो किस्मों पर ही निर्भर रहने लगे हैं। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि दो दशक पहले पंजाब में गेहूं की लगभग 30 से ज्यादा किस्में उगाई जाती थी। वहां आज घटकर मात्र 2 या 3 किस्में ही रह गई हैं। उन्होंने कहा कि एक ही किस्म की पैदावार से न केवल मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है, बल्कि मनुष्य के शरीर में भी पोषक तत्व की कमी हो जाती है। क्योंकि हर किस्म की फसल का पोषण घटक अलग अलग होता है। जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए बुंदेलखंड क्षेत्र में हमें न केवल अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना है बल्कि वृक्ष की वह प्रजातियां जो आज विलुप्त होने की कगार पर हैं जैसे-महुआ, चिरौंजी, कुसुम ऐसे वृक्षों के संरक्षण पर जोर देना है। बढ़ती जनसंख्या का प्राकृतिक संसाधन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ रहा है। जिससे कि वनों पर दबाव बढ़ रहा है और उसी से हमारा पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ गया। जोकि जैव विविधता के विनाश का कारण बनता जा रहा है। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के अधिवक्ता डॉ एके पांडेय के स्वागत संबोधन से हुआ। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ वीर सिंह पूर्व विभागाध्यक्ष गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंत नगर रहे। तकनीकी सत्र के वक्ता डॉ अजय ठाकुर वैज्ञानिक एवं विभाग अध्यक्ष वन अनुसंधान केंद्र देहरादून,डॉक्टर एल वान्गचू सह प्राध्यापक केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय इंफाल,एमजे डोबरियाल विभाग अध्यक्ष वानकी एवं डॉ.युमनाम विजीलक्ष्मी देवी, डॉ. गरिमा गुप्ता, डॉ.तनुज एवं डॉ. शैलेंद्र रहे। हिन्दुस्थान समाचार/महेश

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