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नाबार्ड के सहयोग कृषि विश्वविद्यालय में एकीकृत कृषि प्रणाली परियोजना का शुभारंभ

बांदा, 27 जून (हि.स.)। कृषि विश्वविद्यालय में नाबार्ड के सहयोग से ‘बुंदेलखंड क्षेत्र में सतत आजीविका के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली के माध्यम से बहु स्तरीय रोजगार सृजन’ परियोजना का शुभारंभ किया गया।इस परियोजना की लागत 30 लाख 98 हजार रुपये है। जिसमें 24 लाख 68 हजार अनुदान राशि है। यह जानकारी नाबार्ड के अध्यक्ष डॉ.जी आर चिन्ताला ने पत्रकारों को दी। इसके पूर्व बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा में नाबार्ड के अध्यक्ष, डा.जी. आर. चिन्ताला तथा मुख्य महाप्रबन्धक, नाबार्ड, लखनऊ डा. डी. एस. चौहान की उपस्थिति में कुलपति डा. यू.एस.गौतम के अध्यक्षता में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम आयोजन का मुख्य उद्देश्य नाबार्ड बैंक के सहयोग से एक परियोजना तथा उससे सम्बन्धित स्वीकृति पत्र प्रदान किया जाना था। परियोजना ‘‘मल्टी लेवल इम्प्लाईमेन्ट जेनरेशन इन्टीग्रटेड फार्मिंग सिस्टम फार सस्टेनेबल लाइवलीहुड इन बुन्देलखण्ड रिजन’’ के नाम से विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किया जा रहा है। परियोजना के प्रमुख अनुवेषक सहायक प्राध्यापक, सस्य विज्ञान, डा. अनिकेत काल्हापुरे हैं। इस अवसर पर मुख्य अतिथि व चेयरमैन, नाबार्ड, डा. जी. आर. चिन्ताला ने कहा कि बुन्देलखण्ड सुना था आज देख भी लिया। यहां के जन जीवन को देखना अपने आप में एक नया अनुभव है जो विश्वविद्यालय आकर पूरा हुआ। हमने जितना महसूस किया यहां बरसात है फिर भी पानी नहीं है, पानी है पर रूकता नहीं है, गाय है पर दूध नहीं हैं, खेत है पर खेती नहीं है यह विचारणीय है इसे सोच समझ कर, योजनाबद्ध तरीके से इस पर कार्य करना होगा। डा. चिन्ताला ने कहा कि गाय को हम मां मानते है उसे हम कैसे बेसहारा छोड़ सकते है। खेती में पशुपालन एक आवश्यक घटक है। किसानों को इसे अपनाना होगा, जिससे यहां कुरीति अन्ना प्रथा दूर किया जा सके। डा0 चिन्ताला ने कहा कि बुन्देलखण्ड के किसानों को प्रसार गतिविधियों के माध्यम से प्रोत्साहित करना चाहिये। उन्होंने कृषि में महिलाओं के योगदान पर भी प्रकाश डाला एवं कहा कि कृषि आधारित कुटीर उद्योगों के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण को और बल मिलेगा। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मुख्य महाप्रबन्धक, नाबार्ड, लखनऊ, डा. डी. एस. चौहान ने कहा कि यह अत्यन्त आवश्यक है कि आधुनिक तकनीकियों को कृषि से जोड़ा जाय जिसके माध्यम से वास्तव में किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं तकनीकी के बिना आगे बढ़ना मुश्किल है। शिक्षा सूचना प्रौद्योगिकी को एक साथ जोड़कर वैज्ञानिक तरिके से कृषि के क्षेत्र में विकास किया जा सकता है। इस क्षेत्र में कृषि विश्वविद्यालय बांदा एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा सकता है। परियोजनाओं का परिणाम कृषकों तक पहुचाना आवश्यक है। समय, परिस्थिति, स्थान तथा उपलब्ध संसाधनों से एकीकृत फसल प्रणाली को कृषि का मुख्य आधार बनाया जा सकता है। डा0 चौहान ने कहा कि नाबार्ड की टीम कृषि विश्वविद्यालय से मिलकर कृषि के क्षेत्र में अच्छा कार्य करेगी। कृषक, वैज्ञानिक, सामुदायिक संगठन तथा प्रकृति के साथ मिलकर बुन्देलखण्ड का विकास सम्भव है। कुलपति, डा. यू0एस0गौतम ने अध्यक्षीय सम्बोधन में विश्वविद्यालय की विगत तीन वर्षों की गतिविधियों पर प्रकाश डाला एवं विश्वविद्यालय द्वारा बुन्देलखण्ड कृषि के विकास में दिये जा रहे योगदान से को अवगत कराया। उन्होंने नाबार्ड को यह विश्वास दिलाया कि आगामी निकट वर्ष में विश्वविद्यालय समन्वित कृषि प्रणाली के विभिन्न माॅडल्स को विकसित करेगा। अतिथियों द्वारा विश्वविद्यालय के विभिन्न संचालित उपक्रमों का भ्रमण किया गया तथा आई0एफ0एस0 माॅडल में वृक्षारोपण भी किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन एवं अतिथियों के स्वागत से हुआ। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल

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