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हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के लिए आर्थिक व रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है भारत - अमरेंद्र कुमार

गोरखपुर, 06 फरवरी (हि.स.)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग द्वारा शनिवार को आयोजित ‘हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत वियतनाम सामुद्रिक सुरक्षा सहयोग’ विषयक सेमिनाॅर को संबोधित करते हुए शोध अध्येता अमरेंद्र कुमार तिवारी ने हिन्द-प्रशांत क्षेत्र की संकल्पना को उसके भू-स्त्रातजिक व्यवस्था को दक्षिण चीन सागर व आसियान के संदर्भ में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने कहा कि भारत हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के लिए आर्थिक व रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। वहीं, उन्होंने व्यापार, ऊर्जा, कृषि, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि आयामों में भारत और वियतनाम के साथ संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019-20 में दोनों देशों ने करीब 12.34 बिलियन डाॅलर का व्यापार किया है। भारत-वियतनाम सामुद्रिक सुरक्षा सहयोग को चुनौती मानते हुए उन्होंने कहा कि भारत और वियतनाम के बीच सुरक्षा सहयोग के बीच चीन एक चुनौती के रूप में सामने आ रहा है। भारत की एक्ट पॉलिसी के सामुद्रिक आयाम ने दक्षिण पूर्व एशिया के देश विशेषकर वियतनाम से भारत के संबंध को मजबूत करने के साथ ही हिंद प्रशांत महासागर को जोड़ा भी है। इस क्षेत्र में चीन द्वारा दक्षिण चीन सागर के सैन्यीकरण ने क्षेत्रीय सामुद्रिक देशों की सुरक्षा के लिए गंभीर संकट पैदा किया है। उन्होंने बताया कि वियतनाम भू-राजनीतिक रूप से इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और इस क्षेत्र में भारतीय हितों की सुरक्षा में वह एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। भारत-वियतनाम सामुद्रिक सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए उन्होंने मुक्त व खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की आसियान केंद्रित व्यवस्था, वियतनाम के तेल व गैस क्षेत्र में निवेश व अंतरराष्ट्रीय सामुद्रिक कानूनों के अनुपालन करने पर जोर दिया। प्रश्नोत्तर काल में विद्यार्थियों के प्रश्नों और जिज्ञासा का समाधान भी किया गया। हिन्दुस्थान समाचार/पुनीत-hindusthansamachar.in

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