उत्तर प्रदेश, रफ्तार डेस्क। अक्सर देखा गया है कि लोग अपने नाबालिग बच्चों को स्कूटी-कार चलाने के लिए दे देते हैं। उन्हें भी पता होता है कि यह गैरकानूनी है, फिर भी बहुत से लोग इसकी परवाह नहीं करते है। गाड़ी चलाने की कानूनी उम्र 18 साल है, उससे छोटे किशोरों को गाड़ी चलाने देना उनके साथ-साथ सड़क पर चलने वाले दूसरे लोगों के लिए भी खतरनाक है। हालांकि, बहुत से माता-पिता नियम-कानून को ताक पर रखकर अपने बच्चों को 18 साल का होने से पहले ही गाड़ी चलाने दे देते हैं। यूपी सरकार ने इसके खिलाफ सख्त आदेश लागू कर दिए हैं।
नाबालिग बच्चों को वाहन देने पर 3 साल जेल की सजा और 25 हजार का जुर्माना
उत्तर प्रदेश शासन ने नाबालिग बच्चों के दो पहिया या चार पहिया वाहन चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। अगर इस प्रतिबंध के बावजूद कोई अपने नाबालिग बच्चों को वाहन चलाने के लिए देता है तो उसे 3 साल जेल की सजा और 25 हजार के जुर्माने से दंडित किया जायेगा। उत्तर प्रदेश परिवहन यातायात कार्यालय ने यह ऑर्डर शिक्षा निदेशक माध्यमिक को भेजा है। इस आदेश को उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की तरफ से दिए गए निर्देश के बाद जारी किया गया है।
वाहन का लाइसेंस भी निरस्त किया जायेगा
जारी आदेश में साफ लिखा हुआ है कि यदि अभिभावक या वाहन मालिक 18 साल से कम उम्र के बच्चों को वाहन चलाने के लिए देगा तो वह खुद ही इस कानून के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार होगा। अगर नाबालिग बच्चा वाहन चलाते हुए पकड़ा गया तो वाहन के मालिक को 3 साल की सजा और 25 हजार तक के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। वहीं वाहन का लाइसेंस भी निरस्त किया जायेगा।
वाहन मालिक के साथ साथ नाबालिग के लिए भी सख्त नियम
दुर्घटना के बढ़ते मामलों को देखते हुए ही उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने नाबालिग बच्चों के लिए कड़े निर्देश जारी कर दिए हैं। अगर कोई नाबालिग गाड़ी चलाते हुए मिलता है तो वाहन मालिक पर तो कड़ा कानूनी एक्शन होगा ही साथ में नाबालिग भी अपना ड्राइविंग लाइसेंस 25 की उम्र के बाद ही बना पायेगा। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य ने कहा कि अधिकतर नाबालिग बच्चे जिनकी उम्र 18 साल से कम होती है, लापरवाही के कारण वाहन चलाते हुए दुर्घटना के शिकार हो जाते है। आकड़ो के अनुसार सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वालो में 40 फीसदी नाबालिग बच्चे होते हैं। इसलिए इस तरह के कड़े नियम बनाना बहुत जरुरी है।
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