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पुरवा के 36 गांवो में नियम ताक पर रखकर घटिया स्ट्रीट सोलर लाइट लगाने के मामले का हुआ खुलासा

उन्नाव, 26 फरवरी (हि.स.)। उपायुक्त श्रम रोजगार कि जांच में पुरवा विकासखंड 36 गाँवों में स्ट्रीट सोलर लाइट में हुए भ्रष्टाचार की पोल खुल गयी है। मामले को दफ़न करने के प्रयास किये जा रहे है। लाखो रुपये के सरकारी धन के बंदरबाट में सचिवों व पूर्व प्रधानों की भूमिका संदिग्ध बनी हुई है। पुरवा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायतो में लगी स्ट्रीट सोलर लाइट मात्र दिखावा बनकर रह गयी है।यह बात कोई कोरी बकबास नही है। बल्कि तीन अधिकारियों की जांच कमेटी की रिपोर्ट है। ग्रामीण क्षेत्रों में लगाई गयी सोलर लाइट मानक के अनुरूप नही है।मामला मुख्य विकास अधिकारी के संज्ञान में है। अब देखना यह होगा कि दोषियों पर क्या कार्यवाही होती है। अथवा मामला फाइलों में ही दफ़न हो जायेगा। 36 गाँवों में स्ट्रीट सोलर लाइट की स्थापना में जमकर सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला प्रकाश में आने के बाद विकास भवन के अधिकारी हरकत में आ गए है। गत दिनों सम्पूर्ण समाधान दिवस पुरवा में एक शिकायतीपत्र दिया गया था। जिसमे कहा गया था कि ग्रामीण क्षेत्रों में लगी स्ट्रीट सोलर लाइट घटिया किस्म की है। तथा वह अपने स्थापना काल से ही काम नहीं कर रही थी। जिलाधिकारी रवीन्द्र कुमार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए। तीन अधिकारियो की कमेटी गठित कर जाँच आख्या मांगी थी। जाँच कमेटी में शामिल डीसी मनरेगा व जिला कृषि रक्षा अधिकारी विकास शुक्ला ने गाँवों में जाकर स्थलीय जाँच की तो पाया कि अधिकांश लाइट ख़राब पड़ी थी। दिलचस्प बात यह है कि बिछिया विकासखंड में जिन सचिवों का नाम सोलर लाइट घोटाले में उभर कर सामने आया था। ज्यादातर सचिव वही है जिन्होंने नियम और गाइडलाइन को दरकिनार कर घटिया किस्म की सोलर लाइट क्रय की है। हालाँकि अपने चहेतों को बचाने के लिए भरसक प्रयास किये जा रहे है. जबकि इसकी पूरी जानकारी मुख्य विकास अधिकारी को है।जाँच कमेटी द्वारा दी गयी जाँच आख्या में उक्त सोलर लाइट ख़राब मिली है। जबकि इन सोलर लाइट की गारंटी पांच साल होती है।कही यह जाँच भी फाइलों में दबकर ना रह जाए। इसको लेकर तरह तरह की चर्चाये क्षेत्र में हो रही है। हिन्दुस्थान समाचार/अरुण कुमार दीक्षित

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