'वृक्ष पुरुष' ने नीम के पेड़ों में बांधी 'चुनरी' तो काटने वाले लगे सिर झुकाने

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-वृक्ष जितना होगा हरा-भरा, दांपत्य जीवन उतना ही खुशहाल होगा -नीम के वृक्ष को संरक्षित करने के लिए शिक्षक ने लिया धर्म का सहारा -कोविड काल में भी ऑक्सीजन और पेड़ों का महत्व नहीं समझ रहे लोग भदोही, 08 मई (हि.स.)। कोविड-19 महामारी को लेकर देश में हाहाकार मचा है। ऑक्सीजन समस्या से लोग जूझ रहे हैं। लेकिन पूर्वांचल में ट्री-मैन यानी 'वृक्ष पुरुष' से विख्यात एक शिक्षक नीम के पेड़ को बचाने के लिए धर्म का सहारा ले रहा है। उनका यह तरीका कामयाब हो निकला है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि पेड़ों को बचाकर अधिक से अधिक ऑक्सीजन पाएं। राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत शिक्षक अशोक कुमार गुप्ता विगत चार वर्षों से पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए रात-दिन एक किए हैं। उनके द्वारा विभिन्न प्रकार के वृक्षों का पौधरोपण किया जा रहा है। जिसमें पीपल, पाकड़ बरगद, गूलर, आम, कंजी, नीम, आंवला, जामुन, गुलमोहर, सहजन, सागौन शमी इत्यादि हैं। शिक्षक अशोक कुमार गुप्ता ने बताया कि ज्ञानपुर स्थित हॉस्टल परिसर में मेरे द्वारा लगाए गए नीम के वृक्ष को पर्याप्त सुरक्षा के अभाव में कुछ लोगों द्वारा काटा जा रहा है। नीम के वृक्षों को कैसे बचाया जाए, यह मेरे लिए चुनौती थी। क्योंकि कोविड काल में दुनिया ऑक्सीजन से जूझ रही है, लोगों के प्राण जा रहे हैं, इसके बाद भी लोगों को ऑक्सीजन और पेड़ों का महत्व नहीं समझ में आ रहा है। हमने सोचा क्या किया जाय। कहाकि मेरे दिमाग में एक बात आई की नीम की जहां पूजा होती है और धार्मिक मान्यता के अनुसार लाल चुनरी उसमें बंधी होती है तो लोग नीम में शीतला माता का निवास होने से नहीं काटते हैं। यह बात मेरे समझ में आयीं। अशोक ने बताया कि फिर हमने इन नीम के वृक्षों में लाल चुनरियों को बांध दिया। मैंने देखा की अब लोग उन्हें दूर से ही प्रणाम करते हुए चले जाते हैं। क्योंकि मां शीतला को नीम वृक्ष की देवी मानी जाती है। यद्यपि संपूर्ण वृक्ष प्रजाति पूजनीय है। भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण का अपना ही महत्वपूर्ण स्थान है। अनेक स्थानों पर वर-वधु के गृहस्थ आश्रम में प्रवेश के समय वृक्ष लगाने की परंपरा है तथा उसकी सुरक्षा को दांपत्य जीवन से जोड़ दिया गया है। यह मान्यता है कि वह वृक्ष जितना हरा-भरा होगा, दांपत्य जीवन उतना ही खुशहाल होगा। वृक्ष की पूजा सुहाग प्रदान करने के लिए तथा उसकी रक्षा की कामना हेतु महिलाएं करती हैं। ग्रीष्म ऋतु में नीम के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। हिन्दुस्थान समाचार/प्रभुनाथ शुक्ल

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