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समरसता व हर्ष का पर्व है होली : प्रांत प्रचारक

गोरखपुर, 28 मार्च (हि.स.) गोरखपुर के सूर्यकुंड पोखरे पर रविवार को फाल्गुन उत्सव में बतौर मुख्य अतिथि प्रांत प्रचारक सुभाष ने कहा कि होली समरसता व हर्ष का पर्व है। होली भक्ति, आनन्द, समरसता, उमंग का पर्व है। होली खेले रघुवीरा अवध में... का उदाहरण देते हुए कहा कि होली का पर्व की पहचान प्रभु श्रीराम से है। उन्होंने कहा कि यह सूर्यकुण्ड धाम सरोवर भी प्रभु श्री राम की उपासना का स्थली है। श्रीलंका पर विजय प्राप्त करने के उपरांत अयोध्या जाते समय राम ने यहां विश्राम किया। यहीं पर उन्होंने सूर्य उपासना की थी। उन्होंने कहा कि समरसता के लिए सामांजस्य जरूरी है। जैसे ढोल, झाल ,तबला, कीबोर्ड और हारमोनियम के धुन में जब तक सामांजस्य नहीं होगा, तब तक मधुर संगीत नहीं बन सकता। उसी तरह हमें भी समरसता के लिए एकजुटता का परिचय देना चाहिए इस मौके पर सभी ने एक-दूसरे को फाग गीतों संग अबीर गुलाल लगाकर बधाइयां दी। सबसे पहले फूलों की होली खेली गई। उसके बाद अबीर और गुलाल उड़ाकर प्रेम और भाईचारे की एक ऐसी होली मनाई गई, जहां आम और खास का भेदभाव भुलाकर सब एक ही रंग में रंग गए। इस बीच भजन कीर्तन का दौर चलता रहा। संतोष शुक्ला ने भजनों की शुरूआत गणेश वन्दना से की। इसके बाद फाग गीतों पर लोग थिरकते रहे। हिन्दुस्थान समाचार/पुनीत

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