ऐतिहासिक परंपरा : हमीरपुर में 300 वर्ष पुरानी महिलाओं की फाग मंगलवार को, घरों में कैद रहेंगे मर्द

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हमीरपुर, 28 मार्च (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में कुंडौरा एक ऐसा अप्रतिम गांव है, जहां महिलाएं जमकर होली खेलती हैं। कहा जाता है कि 300 वर्ष से चली आ रही इस परंपरा को महिलाएं आज भी निभा रही हैं। जब महिलाएं होली में सराबोर रहती हैं, तब यहां के मर्द या तो खेतों में चले जाते हैं या घरों में कैद हो जाते हैं। इस वर्ष यहां की महिलाएं मंगलवार को धूमधाम से होली खेलेंगी और ठुमके लगाएंगी। सुमेरपुर क्षेत्र के इस कुंडौरा में परंपरा के अनुसार इस वर्ष भी महिलाओं की फाग मंगलवार को धूमधाम के साथ गांव में निकलेगी। फाग परंपरागत तरीके से गांव के रामजानकी मंदिर से शुरू होकर गांव के भ्रमण के उपरांत खेरापति मंदिर में हंसी खुशी के साथ संपन्न होगी। फाग को रोचक एवं आकर्षक बनाने के लिए गांव की महिलाएं पूरी शिद्दत के साथ जुटी हुई हैं। फाग की अगुवाई गांव की बुजुर्ग महिला कमलेश सिंह को सौंपी गई है। इन्हें के दिशा निर्देश में फाग निकाली जाएगी। बुंदेलखंड में रंग की होली मनाने की परंपरा दूज को है। गांव-गांव में फाग पुरुषों के नेतृत्व में निकाली जाती है, लेकिन क्षेत्र के ग्राम कुंडौरा में पुरुषों की जगह महिलाएं फाग निकालती हैं। यह परंपरा सैकड़ों वर्ष पुरानी है। पूर्व में महिलाओं के समानांतर पुरुषों की फाग भी निकलती थी। लेकिन 70 के दशक में दस्यु सरगना मेंबर सिंह ने फाग के दौरान पुलिस मुखबिरी के शक में गांव के एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद पुरुषों की फाग निकलना बंद हो गई। लेकिन महिलाओं ने हार नहीं मानी और अपनी फाग निकालने का क्रम बेखौफ होकर जारी रखा जो आज भी विद्यमान है। खेत में चले जाते हैं मर्द या हो जाते हैं घरों में कैद गांव के नंदकिशोर द्विवेदी व निवर्तमान प्रधान अवधेश यादव एडवोकेट बताते हैं कि महिलाओं द्वारा फाग निकाले जाने की परंपरा सदियों पुरानी है। यह परंपरा जिले में सिर्फ उनके गांव में ही है। जिस समय गांव में महिलाओं की फाग निकलती है। उस समय गांव के पुरुष खेत खलिहानों की तरफ चले जाते हैं अथवा घरों में ही कैद हो जाते हैं। महिलाओं की फाग में वह सब साज बाज रहता है जो पुरुषों की फाग मंडली में होता है। पुरुषों की तरह महिलाएं भी बुंदेली लोक परंपरा की ईसुरी रचित फागें गाती और सुनाती है। साथ ही इनका नाच भी मनमोहक होता है। भाग निकलते समय अगर कोई पुरुष इनको रास्ते में टकरा जाता है तो फागुन की मस्ती में मदमस्त यह महिलाएं पुरुषों के पैरों में घुंघरू बांधकर नाचने गाने को को मजबूर कर देती हैं। यही वजह है कि पुरुष महिलाओं द्वारा निकाले जाने वाली फाग से कोसों दूर रहते हैं। फाग मण्डली में सभी जातियों की बुजुर्ग एवं युवा महिलाएं शामिल होती हैं। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज

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