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हाईकोर्ट ने लव जेहाद रोकने को बने धर्मान्तरण कानून के खिलाफ याचिका पर प्रदेश सरकार से मांगा जवाब

प्रयागराज, 23 जून (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लव जेहाद के मामलों को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश में लाए गए धर्मान्तरण कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने जवाब के लिए सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है। बुधवार को यह आदेश चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने याचियों से सरकार का जवाब दाखिल होने के बाद उस पर एक सप्ताह में प्रतिउत्तर शपथपत्र दाखिल करने को कहा है। साथ ही मामले पर अगली सुनवाई के लिए 02 अगस्त की तारीख लगाई है। एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनीशिएटिव व एक अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं के जरिए धर्मान्तरण कानून को चुनौती दी गई है। याचिकाओं में धर्मान्तरण कानून को संविधान के विपरीत बताते हुए कहा गया है कि सिर्फ सियासी फायदा उठाने के लिए यह कानून बनाया गया है। यह भी कहा गया कि इससे एक वर्ग विशेष के लोगों का उत्पीड़न भी किया जा सकता है। याचिकाओं में धर्मान्तरण कानून के दुरुपयोग की भी आशंका जताई गई है। कोर्ट ने अध्यादेश को चुनौती देने वाली चार याचिकाओं को खारिज भी किया है। कोर्ट ने कहा कि धर्मान्तरण अध्यादेश अब कानून बन चुका है। ऐसे में इसे लेकर लम्बित याचिकाओं पर सुनवाई करने का कोई औचित्य नहीं है। कोर्ट ने इसी के साथ धर्मान्तरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली चारों याचिकाओं में संशोधन की अर्जी भी नामंजूर कर दी है। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/विद्या कान्त

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