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कैद पिता को कन्यादान करने के लिए हाईकोर्ट ने पेरोल पर रिहाई का दिया निर्देश

प्रयागराज, 21 अप्रैल (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट कोरोना संक्रमण के चलते बंद है। केसों की सुनवाई नहीं हो रही है। परन्तु एक कैदी पिता की तरफ से दाखिल अर्जी को स्वीकार कर हाईकोर्ट के दो जजों की पीठ ने रामनवमी की छुट्टी के दिन आदेश जारी किया। कोर्ट ने जेल में बंद कैदी पिता को उसकी बेटी की शादी में शामिल होने और शादी की रस्में पूरी करने के लिए पेरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट का यह आदेश ऐसे समय में आया जब कोरोना संक्रमण के कारण हाईकोर्ट 26 अप्रैल तक पूरी तरह से बंद है और मुकदमों की सुनवाई नहीं हो रही है। मामले की अर्जेंसी देखते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति एससी शर्मा की पीठ ने यह आदेश दिया। याची राजेंद्र यादव की पेरोल अर्जी पर उसके वकील ने पक्ष रखते हुए कहा कि याची कानपुर के चकेरी थानाक्षेत्र के हत्या के एक मामले में सजायाफ्ता है। जिसकी अपील हाईकोर्ट में लम्बित है। 23 अप्रैल को याची की बेटी की शादी है। पिता होने के कारण बेटी के विवाह की रस्में पूरी करना उसका दायित्व है। इसलिए याची को बेटी का विवाह सम्पन्न करने के लिए पेरोल पर रिहा किया जाए। कोर्ट ने अर्जी स्वीकार करते हुए याची को पेरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है। उसे पांच मई या इससे पूर्व सीजेएम के समक्ष सरेंडर करना होगा। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि याची को वापस जेल भेजने से पूर्व उसका कोविड टेस्ट कराया जाए और यदि उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो याची दो सप्ताह तक खुद को क्वारंटीन रखेगा। इसके बाद वह समक्ष अदालत में सरेंडर करेगा। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/विद्या कान्त

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