कानपुर, 22 जनवरी (हि.स.)। अगर आप घर से निकलते समय यह सोचते है कि आपकी मित्र पुलिस किसी भी समस्या में मदद के लिए तत्पर है तो ऐसा मत सोचियेगा, और आपको अपनी रक्षा स्वयं करनी होगी। यह हम नहीं कह रहे बल्कि इसका जीता-जागता उदाहरण कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन पर राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) का शुक्रवार को देखने को मिला, जहां एक स्टेशन पर महिला तड़पती रही लेकिन जीआरपी कर्मियों ने उसे अस्पताल न भेजते हुए प्लेटफार्म में ही उतार दिया। इससे उसकी मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक, गोरखपुर निवासी फैजान ने बताया कि वह बलिया से अलीगढ़ 45 वर्षीय मां मजरूनिशां के साथ मगध एक्सप्रेस से जा रहे थे। गाड़ी जैसे ही कानपुर सेन्ट्रल पहुंची अचानक मां की तबीयत बिगड़ गई। बेटे फैजान ने इसकी सूचना जीआरपी पुलिस को दी। सूचना पर पहुंचे जीआरपी कर्मियों का अमानवीय व्यवहार देखने को मिला। मुसाफिर फैजान का आरोप है कि जीआरपी कर्मियों ने तड़पती मां को अस्पताल न भेजते हुए गाड़ी से एक नंबर प्लेटफार्म में उतार दिया और मां की प्लेटफार्म में तड़प-तड़प कर जान चली गई। मिल जाता इलाज तो बच सकती थी जान सेन्ट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर शुक्रवार आधे घंटे तक महिला तड़पती रही। इसके बावजूद जीआरपी कर्मियों का दिल नहीं पसीजा। उसे इलाज के लिए अस्पताल भेजने के बजाए प्लेटफार्म पर मरने के लिए छोड़ दिया। बेटे फैजान ने बताया कि अगर सही समय पर मां को अस्पताल भेजवा दिया जाता या स्टेशन पर ही इलाज मिल जाता तो शायद मां की जान बच सकती थी। इस मामले में जीआरपी इंस्पेक्टर राम मोहन राय ने बताया कि इस मामले की जानकारी नहीं है। इसकी जांच कराई जा रही है। अगर कोई कर्मी दोषी मिलता है तो कार्रवाई की जाएगी। हिन्दुस्थान समाचार/हिमांशु/मोहित-hindusthansamachar.in