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गोमती होगी स्वच्छ और निर्मल, 336 करोड़ की लागत से लग रहा एसटीपी

- कोरोना काल में भी स्वच्छता और नदी के प्रवाह को निर्मल बनाने में जुटे हैं अधिकारी - योगी सरकार अगले साल देगी लखनऊ की ‘जीवन रेखा’ को नया जीवन - नदी की जल गुणवत्ता में सुधार को एक मई से 15 जून तक गोमती में पानी छोड़ने के निर्देश - जीएच कैनाल निर्माण से लखनऊ में नदी को मिलेगा नया जीवन, खुलकर सांस ले सकेंगे जलीय जंतु - घाटों के सुंदरीकरण के लिए पीलीभीत से शुरू हुआ काम लखनऊ, 27 अप्रैल (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश से होकर बहने वाली गंगा, यमुना, घाघरा और सरयू को मिलाकर छोटी, बड़ी सभी 31 नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के निर्देश जारी किए हैं। इसी क्रम में कोरोना काल में भी सरकार अपने अथक प्रयासों से लाखों लोगों की जीवन रेखा गोमती नदी के प्रदूषण को कम करने, उसे स्वच्छ और निर्मल बनाने में जुटी है। इस महत्वपूर्ण कार्य को अमलीजामा पहनाने के लिए एक मई से 15 जून तक गोमती नदी में जल की गुणवत्ता को सुधारने के लिए पानी छोड़ने के आदेश दिए गए हैं। लखनऊ स्थित गोमतीनगर में 1090 चौराहे के पास जल निगम की ओर से जीएच कैनाल बनाने का काम भी तेज गति से किया जा रहा है। सितम्बर 2022 तक इसे संचालित कर दिया जाएगा। इसके बाद गोमती नदी में बड़े नालों की गंदगी नहीं गिरेगी। इससे नदी में जलीय जंतुओं को सांस लेने में आसानी होगी। साथ में राजधानी के बीच नदी का प्रवाह भी स्वच्छ और निर्मल हो जाएगा। जीएच कैनाल से लखनऊ में गोमती को मिलेगा नया जीवन 336 करोड़ की लागत से 120 एमएलडी के जीएच कैनाल एसटीपी के बनने से गोमती नदी स्वच्छ और निर्मल हो जाएगी। नाले से आने वाले सीवेज को शोधित करके गोमती में भेजा जाएगा। जीएच कैनाल जिसे लोग हैदर कैनाल नाले के रूप में जानते हैं कानपुर के सीसामऊ नाले की तर्ज पर राजधानी के बीच से गुजर रहा है। प्रदूषण का बड़ा कारण बनने के चलते नाले पर एसटीपी बनाने का काम तेजी से चल रहा है। इसके पूरा होने पर नदी में प्रदूषण होने का खतरा एकदम नहीं रहेगा। जलीय जन्तुओं के जीवन के लिये भी यह काफी लाभकारी हो जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जून 2018 में खुद गोमती सफाई अभियान की नींव रखने के बाद नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद प्रदेश में विभिन्न स्थलों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण हो चुका है। एसटीपी निर्माण में हरे-भरे पेड़ों को नहीं पहुंचाया गया नुकसान राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि सरकार के निर्देश पर एसटीपी निर्माण कार्य के दौरान राजधानी के बीच छह एकड़ भूमि में बन रहे जीएच कैनाल पर 150 बड़े पेड़ों को बचा लिया गया है। इनको काटे बिना निर्माण कार्य किया जा रहा है। यह अनोखा प्रयास जल निगम ने सरकार के निर्देश पर किया है। निर्माण क्षेत्र में बीचों बीच एक पीपल का पुराना पेड़ है, जिसे बिना नुकसान पहुंचाए काम तेजी से किया जा रहा है। लखनऊ से पीलीभीत तक चल रहा घाटों का सुंदरीकरण प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी ने सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर पीलीभीत को बड़ी सौगात दी है। यहां प्र्यटन की दृश्टि से ब्रह्मचारी घाट को विकसित करने के लिए धनराषि भी स्वीकृत कर दी। योगी सरकार द्वारा 44.77 लाख रुपए का बजट दिया गया है, जिससे पीलीभीत में घाटों के सुंदरीकरण का काम षुरू हो गया है। लखनऊ की धरोहर माने जाने वाली गोमती नदी के उद्गम स्थल को भी प्र्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। राजधानी में एसटीपी की संख्या बढ़ाने के लिए बन रहे नए डीपीआर उन्होंने बताया कि नदियों को प्रदूषण मुक्त करने की सरकार की योजना को पूरा करने के लिए सुल्तानपुर रोड पर भी एक एसटीपी बनाने व बाराबिरवा कानपुर रोड पर ड्रेनेज की व्यवस्था के लिए जल निगम को डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। नदी से जल कुम्भी हटाने और नदी के किनारे पौधरोपण अभियान को चलाने के भी उन्होंने महत्वपूर्ण निर्णय दिए। हिन्दुस्थान समाचार/ पीएन द्विवेदी

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