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कश्मीर से कन्याकुमारी तक लहलहाएगी सीएसए की राई 'महक' व सरसों 'चेतना'

— केन्द्रीय बीज समिति ने बीज एवं फसल उत्पादन की श्रेणी में किया शामिल कानपुर, 30 मई (हि.स.)। किसानों की आय में वृद्धि के लिए सीएसए के वैज्ञानिक बराबर फसलों की नई प्रजातियों को विकसित कर रहे हैं। इसी क्रम में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय ने शोध कर राई-सरसों की दो उदयीमान प्रजातियां को विकसित किया है। यह राई और सरसों की क्रमश: आजाद 'महक' और आजाद 'चेतना' नाम की दो प्रजातियों की फसल कम समय में पक कर तैयार हो जाती है और उत्पादन क्षमता अधिक है। साथ ही इससे 40 फीसदी से अधिक तेल पाया जाता है। केन्द्र सरकार ने इन दोनों ही प्रजातियों को बीज एवं फसल उत्पादन की श्रेणी में शामिल कर पूरे देश में बिक्री के लिए संस्तुति दी है। इस सम्बंध में विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ महक सिंह ने रविवार को बताया कि यह प्रजाति राई आजाद महक (केएमआर(ई)15-2) एवं सरसों (तोरिया) की प्रजाति आजाद चेतना (टीकेएम 14-2) हैं। बताया कि राई की आजाद 'महक' प्रजाति उच्च ताप सहिष्णु एवं अगेती बुवाई के लिए उत्तम है। उन्होंने बताया कि इसकी उत्पादन क्षमता 24 से 25 कुंतल प्रति हेक्टेयर है तथा बुवाई के 120 से 125 दिन बाद पक कर तैयार हो जाती है। साथ ही इस प्रजाति में तेल प्रतिशत 41.6 से 42.1 प्रतिशत है। डॉ सिंह ने बताया कि यह प्रजाति अल्टरनरिया झुलसा एवं सफेद गेरुई रोग के प्रति प्रतिरोधी है। डॉ महक सिंह ने सरसों (तोरिया) की आजाद 'चेतना' प्रजाति की विशेषताओं के बारे में बताया कि यह प्रजाति सहफसली फसलों के लिए उपयुक्त है। साथ ही यह 90 से 95 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है और इसका उत्पादन 12 से 14 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। इस प्रजाति में 42.2 से 42.4 प्रतिशत तेल पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह प्रजाति भी अल्टरनरिया झुलसा और गेरुई रोग के प्रति प्रतिरोधी है। राई-सरसों की प्रजातियां पीली क्रांति में अहम योगदान - कुलपति विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डी.आर. सिंह ने बीज समिति की बैठक की। कार्यवृत्ति आने पर विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ महक सिंह एवं उनकी शोध टीम को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। साथ ही कहा है कि देश में विश्वविद्यालय की नवविकसित राई-सरसों की प्रजातियां पीली क्रांति में अहम योगदान देंगी। कुलपति डॉ सिंह ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से अपेक्षा की है कि वे शोध कार्यों में गति प्रदान कर फसलों की नई-नई प्रजातियां विकसित करें। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने बीज एवं फसल उत्पादन में किया शामिल सीएसए के कुलपति डॉ सिंह ने बताया कि, केंद्रीय सरकार ने बीज अधिनियम 1966 (1966 क 54) की धारा 5 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्रीय बीज समिति ने परामर्श के बाद सीएसए द्वारा नव विकसित राई-सरसों की प्रजातियों को बीज एवं फसल उत्पादन की श्रेणी में शामिल किया है। इस निर्णय से अब इन प्रजातियों के बीज कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश के लगभग सभी राज्यों में उत्पादन के लिए प्रयोग में लाए जाएंगे। इसका निर्णय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली में 15 मई 2021 को 68वीं बैठक में इन प्रजातियों को शामिल कर बीज एवं फसल उत्पादन के लिए पूरे देश के लिए संस्तुति कर दी है। हिन्दुस्थान समाचार/अजय/मोहित

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