विंध्यधाम विकास परिषद के गठन से पर्यटन स्थल के विकास को मिलेगी गति
मीरजापुर, 26 जून (हि.स.)। शासन से विंध्यधाम विकास परिषद का गठन कर दिए जाने के बाद जिले के पर्यटक स्थलों के विकास को गति मिलेगी। अब पर्यटक स्थलों के विकास के लिए धन की भी कमी नहीं होगी। यह संस्था पूरी तरह से स्वायत्त होने के कारण अपना खुद प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजकर विकास कार्यों के लिए बजट की भी मांग कर सकती है। जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने विंध्यधाम विकास परिषद का गठन कर दिया। विंध्य विकास परिषद में एक कार्यपालक उपाध्यक्ष व एक कार्यपालक अधिकारी की भी तैनाती की जाएगी। दोनों पदों पर नियुक्ति शासन स्तर से की जाएगी। इन अधिकारियों को पर्यटन के क्षेत्र में विकास की योजनाएं तैयार करने व उसे शासन के समक्ष प्रस्तुत कर पास कराने का भी अधिकार रहेगा। इस संस्था के कामकाज में स्थानीय स्तर पर कोई हस्तक्षेप भी नहीं किया जा सकेगा। विंध्यधाम विकास परिषद पूरी तरह स्वायत्त होगा। स्थानीय स्तर पर जिलाधिकारी केवल पर्यटक स्थलों से होने वाली आय और कानून व्यवस्था सम्बंधी कार्यों पर नजर रखेंगे। अभी तक पर्यटन का कार्य भी जिलाधिकारी के अधीन था। उनके पास पूरे जिले की जिम्मेदारी होने के कारण पर्यटन कार्यों में बेहतर प्रगति नहीं हो पा रही थी। हालांकि स्थानीय स्तर पर सहायक पर्यटन अधिकारी की तैनाती की गई है, लेकिन वह शासन से मिलने वाले बजट या जिला प्रशासन की तरफ से स्वीकृत किए गए बजट पर निर्भर रहता था। यहीं वजह रही कि सहायक पर्यटन अधिकारी चाह कर भी पर्यटक स्थलों पर विकास कार्य नहीं करा पा रहे थे। अब विंध्यधाम विकास परिषद का कार्यपालक अधिकारी पर्यटकों को सुविधा मुहैया कराने के लिए आवश्यक कार्य आसानी से करा सकेगा। जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने कहा कि अब जिले के पर्यटक स्थलों के विकास के लिए शासन द्वारा अलग से बजट मिलेगा। साथ ही पर्यटक स्थलों पर आने वाले सैलानियों को बेहतर सुविधा मुहैया कराई जा सकेगी। इससे पर्यटक स्थलों पर विकास कार्य कराने में मदद मिलेगी। आधा दर्जन जल प्रपातों का होगा विकास जिले में आधा दर्जन जल प्रपात स्थित है। इन जल प्रपातों पर प्रति वर्ष जुलाई से अक्टूबर तक चार से पांच लाख सैलानी आते हैं। इन सैलानियों के लिए जल प्रपातों पर बैठने तक की बेहतर व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा किसी भी जल प्रपात पर शुद्ध पेयजल भी नहीं है। शाम ढलते ही अंधेरा पसर जाता है। अब इन जल प्रपातों पर बिजली, पानी और सैलानियों के बैठने के लिए शेड की भी व्यवस्था कराई जा सकेगी। बदलेगी चुनार किले की रंगत अति प्राचीन चुनार किला को देखने के लिए आसपास जिलों के सैलानी ही नहीं बल्कि गैर प्रांतों और विदेशी सैलानी भी प्रति वर्ष आते है। किले के आसपास सैलानियों के ठहरने के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा किला परिसर की भी साफ-सफाई नियमित नहीं कराई जाती है। परिषद के गठन होने के बाद चुनार किले की भी रंगत बदलने की सम्भावना बढ़ गयी है। हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/विद्या कान्त