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विंध्यधाम विकास परिषद के गठन से होगा विकास : रत्नाकर मिश्र

- विंध्य क्षेत्र के पर्यटन को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान मीरजापुर, 28 जून (हि.स.)। विंध्यधाम विकास परिषद के गठन के बाद एक बार फिर विंध्यवासिनी मंदिर को ट्रस्ट बनाए जाने का मामला सामने आने लगा। हालांकि नगर विधायक रत्नाकर मिश्र ने श्रीविंध्य पंडा समाज के साथ बैठक कर विंध्यवासिनी मंदिर को ट्रस्ट बनाने की बात को खारिज किया। कहा कि विंध्य क्षेत्र के धार्मिक पर्यटन को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिले और समुचित विकास हो। इस उद्देश्य से विंध्यधाम विकास परिषद का गठन किया गया है, विंध्यवासिनी मंदिर को ट्रस्ट बनाने के लिए नहीं। श्रीविंध्य पंडा समाज के साथ सोमवार को विंध्यवासिनी मंदिर की छत पर बैठक कर नगर विधायक ने कहा कि अयोध्या, काशी व मथुरा की तर्ज पर विंध्यधाम का विकास किया जाएगा। जिस तरह यहां का विकास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विंध्य क्षेत्र के विकास को प्रयत्नशील हैं। भाजपा सरकार विंध्यवासिनी मंदिर को ट्रस्ट नहीं बनाएगी। विंध्यधाम विकास परिषद के गठन से विंध्यवासिनी मंदिर, कालीखोह व अष्टभुजा मंदिर का विकास होगा। साथ ही आम श्रद्धालुओं के लिए सुगम व्यवस्था की जाएगी। श्रीविंध्य पंडा समाज के अध्यक्ष पंकज द्विवेदी ने बताया, विंध्यधाम विकास परिषद का गठन होने के बाद पंडा समाज में गलत और भ्रामक खबर फैलाई जा रही है कि मंदिर ट्रस्ट हो जाएगा और लोगों की रोजी-रोटी छिन जाएगी। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। कहा कि श्रीविंध्य पंडा समाज का चुनाव कराए जाने को लेकर जल्द ही एक बार फिर जिलाधिकारी से मुलाकात की जाएगी। इस दौरान राजन पाठक, हृदयराम भंडारी, मंदिर व्यवस्था प्रमुख गुंजन मिश्र, पार्षद शनिदत्त पाठक आदि रहे। व्यवस्थापिका समिति के चुनाव की मांग श्रीविंध्य पंडा समाज के पूर्व अध्यक्ष राजन पाठक ने बताया कि श्रीविंध्य पंडा समाज व मां विंध्यवसिनी मंदिर व्यवस्थापिका समिति का चुनाव हर दो वर्षों पर होता है और समिति की ओर से मंदिर की व्यवस्थाओं को संचालित किया जाता है। समिति का कार्यकाल पिछले वर्ष ही समाप्त हो गया था। कार्यकाल समाप्त हुए करीब नौ माह हो गए। पंडा समाज में करीब 1200 वोटर हैं, जो पंडा समाज के 19 सदस्यों एवं परिषद के पांच सदस्यों का चुनाव करते हैं। उन्हीं 19 सदस्यों में अध्यक्ष, मंत्री व समिति के पदाधिकारियों का चुनाव होता है। विश्व पटल पर उभरेगा विंध्यधाम इस समय विंध्यवासिनी मंदिर की व्यवस्था के लिए दो संस्थाएं काम कर रही हैं। मां विंध्यवासिनी मंदिर की व्यवस्था के लिए चार अप्रैल 1983 को विंध्य विकास परिषद का गठन किया गया था। इसका उद्देश्य मंदिर व्यवस्था की देखभाल के लिए धन एकत्रित करना था। इसके लिए उस समय मंदिर परिसर पर दानपात्र रखे गए और उससे प्राप्त धन से मंदिर में व्यवस्था का सिलसिला शुरू हुआ था। अब विंध्यधाम के विकास के लिए शासन की ओर से विंध्यधाम विकास परिषद का गठन किया गया है। सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्य कारिडोर का निर्माण होने के बाद जल्द ही विंध्यधाम धार्मिक स्वरूप के साथ विश्व पटल पर उभरेगा। हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/विद्या कान्त

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