Flowers in the temples of Prayagraj will not spread pollution in the Sangam, home-temples will be fragrant in the form of incense sticks
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प्रयागराज के मंदिरों में चढ़े फूल संगम में नहीं फैलाएंगे प्रदूषण, अगरबत्ती के रूप में घर-मंदिर करेंगे सुगंधित

-सीएसआईआर-सीमैप व मेसर्स ग्रीन ड्रीम भारत के बीच हुआ समझौता, सीमैप देगी तकनीकी लखनऊ, 06 जनवरी (हि.स.)। अब प्रयागराज के मंदिरों में चढ़े फूल भी संगम में प्रदूषण नहीं फैलाएंगे। बल्कि वे पुन: अगरबत्ती के रूप में आकर मंदिरों को सुगंधित करेंगे। इसके लिए बुधवार को सीएसआईआर.सीमैप और मेसर्स ग्रीन ड्रीम भारत, प्रयागराज समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। इसके तहत फूलों से अगरबत्ती बनाने की तकनीकि सीमैप कंपनी को उपलब्ध कराएगा। सीएसआईआर–केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान लखनऊ ने मंदिरों मे चढ़े फूलों से निर्मित सुगंधित अगरबत्ती एवं कोन की तकनीक को मेसर्स ग्रीन ड्रीम भारत, नैनी, प्रयागराज को बुधवार को हस्तांतरित किया है। कंपनी के प्रमुख अभय मेहरोत्रा आई. आई. टी. कानपुर से इंजीनियरिंग करने के बाद पिछले 16 वर्षों से कार्पोरेट जगत में कार्य कर रहे थे, जिसमें वर्तमान में इन्होंने 6 वर्ष देश के कंपनी प्रमुख का दायित्व लिया था । कंपनी ने सीएसआईआर-सीमैप से मंदिरों मे चढ़े फूलों से निर्मित सुगंधित अगरबत्ती एवं कोन की तकनीकी को प्राप्त कर अपने ब्रांड का उत्पाद बाजार में उतारेंगे । मंदिरों में चढ़े फूलों से निर्मित सुगंधित अगरबत्ती एवं कोन पूर्णतया हर्बल एवं सुगंधित तेलों द्वारा निर्मित होने के कारण इसका शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। इस समझौते पर मेसर्स ग्रीन ड्रीम भारत, नैनी, प्रयागराज के निदेशक, अभय मेहरोत्रा एवं सीएसआईआर-सीमैप के प्रशासन अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर किए गये। कंपनी जल्द ही अपनी विनिर्माण सुविधा में उत्पादन शुरू करेगी। कंपनी का इसे महिलाओं को सक्षम बनाने हेतु प्रयागराज के आस-पास के गावों में गरीब महिलाओं तथा शिक्षित बेरोजगारों को काम दे कर उत्पाद को देश एवं विदेश के बाज़ार में उतारने का लक्ष्य है । एक सर्वेक्षण के अनुसार, प्रयागराज में लगभग 02-2.5 टन फूल प्रतिदिन मंदिरों एवं पूजा स्थलों पर चढ़ाये जाते हैं, जिसको संगम में प्रवाहित कर जल प्रदूषण एवं गंदगी उत्पन्न होती है, इस तकनीक के द्वारा प्रदूषण से मुक्ति तथा महिलाओं को रोजगार देने का लक्ष्य है । सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि इन उत्पादों को सीएसआईआर-सीमैप द्वारा वैज्ञानिक रूप से परीक्षण किया गया है। ये उत्पाद ज्यादातर मंदिर में चढ़े फूलों से तथा सुगंधित तेलों से बने होते हैं और इस कंपनी द्वारा उनके उत्पादन से देश में फूलों की खेती करने वाले किसानों को भी आर्थिक लाभ होगा। इस मौके पर डॉ. रमेश कुमार श्रीवास्तव, प्रमुख, व्यापार विकास विभाग ने बताया कि इस तकनीक से उत्तर प्रदेश के कई शहरों जैसे गोरखपुर, अयोध्या, बनारस, लखनऊ एवं लखीमपुर में यह कार्य महिलाओं के साथ-साथ जिला कारागार में भी इसके प्रशिक्षण आयोजित कर महिलाओं को रोजगार प्रदान किया जा रहा है । इस अवसर पर डॉ. अब्दुल समद, डॉ. पी. वी. अजय कुमार, भास्कर रवि आदि भी मौजूद थे। हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/संजय-hindusthansamachar.in

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