every-human-should-adopt-39vasudhaiv-kutumbakam39---prof-girish-tripathi
every-human-should-adopt-39vasudhaiv-kutumbakam39---prof-girish-tripathi

प्रत्येक मानव को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ अपनाना होगा - प्रो. गिरीश त्रिपाठी

प्रयागराज, 06 जून (हि.स.)। विश्व के प्रत्येक मानव को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भारतीय अवधारणा को अपनाना होगा। प्रत्येक भारतीयों को अपनी प्राचीन परम्पराओं और जीवन शैली को अपनाना होगा। यह विचार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के गंगानाथ झा परिसर में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में व्यक्त किया। विशिष्ट अतिथि प्रधान मुख्य वन्य संरक्षक भारत सरकार जयपुर से डॉ. दीप नारायण पाण्डेय ने प्रदूषण के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए समकालीन विज्ञान, प्राचीन भारतीय ग्रंथों के पर्यावरण सम्बंधी ज्ञान और अनुभव जन्य ज्ञान को मिलाकर समन्वित प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया। राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय हण्डिया के पूर्व प्राचार्य व प्रख्यात चिकित्सक डॉ. गिरीन्द्र सिंह तोमर ने प्रकृति के संरक्षण के महत्व पर विचार व्यक्त किया। उन्होंने आयुर्वेद व पर्यावरण के घनिष्ठ सम्बंध को बताया। परि पुनर्स्थापन अनुसंधान केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनीता तोमर ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए छोटे-छोटे उपाय प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता परिसर निदेशक प्रो. ललित कुमार त्रिपाठी तथा संचालन डॉ. अपराजिता मिश्रा एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो जनार्दन प्रसाद पाण्डेय ने किया। संयोजन डॉ. मोनाली दास द्वारा किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी अध्यापक समेत अन्य विद्वान व छात्रगण उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in