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कोरोना के तीसरी लहर से दिव्यांगजनों के बचाव के लिए अभी से प्रयास हो - डॉक्टर परिमल

वाराणसी, 02 जून (हि.स.)। कोरोना की तीसरी लहर से दिव्यांगजनों को बचाने के लिए बुधवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डरस विभाग के प्रोफेसर एवं समन्वयक डॉक्टर परिमल दास की अध्यक्षता में वर्चुअल मंथन किया गया। मंथन में डॉ. परिमल ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर जो आने वाली है। उससे दिव्यांग जन भी प्रभावित होंगे। इसका कारण है दिव्यांगजनों में इम्यूनिटी पावर कम होना। सामान्य बच्चों की अपेक्षा उनकी क्षमता कम होने से इन पर सर्वाधिक खतरा है, कोरोना के दूसरे चरण में जहां भी अन्य देशों में विश्व के ऐसे मानसिक दिव्यांग बच्चों पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। डा. परिमल ने कहा कि भारत में अभी इस दिशा में काम करने का प्रयास कम हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार को मानसिक एवं शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को कोरोना वायरस की लहर से बचाने के लिए प्राथमिकता देना चाहिए। उन्होंने नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन के रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि भारत में 2.1 बौद्धिक दिव्यांगता के बच्चे हैं, जो इस तीसरी लहर में प्रभावित हो सकते हैं। मंथन में मनोचिकित्सक डॉक्टर तुलसीदास ने कहा कि क्रोमोसोम जनित डिसऑर्डर जैसी बीमारियों पर कोरोना का संक्रमण ज्यादा है। मानसिक बीमारियां जैसे आर्टिज्म डाउन सिंड्रोम सेरेब्रल पाल्सी एवं इत्यादि से ग्रसित बच्चे कोरोना से ज्यादा प्रभावित हो सकते। इसलिए कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए एक राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता है। साथ ही साथ स्थानीय स्तर पर पूरे देश में प्रत्येक जिले में दिव्यांगजनों के लिए अलग से कोविड हेल्पलाइन सेंटर खोले जाने की आवश्यकता है। मंथन में डॉक्टर उत्तम ओझा ने बताया कि सरकार ने इस दिशा में प्रयास करना शुरू कर दिया है। सरकार का प्रयास है कि भी कोई व्यक्ति टीकाकरण अभियान से वंचित न रहे। ओझा ने कहा कि दिव्यांगजनों के लिए अलग से टीकाकरण केंद्र बनाया जाना अति आवश्यक है। दिव्यांग जनों को किसी प्रकार की असुविधा ना हो इसका भी ध्यान रखना आवश्यक है। घर-घर सर्वे कराकर दिव्यांग जनों को टीकाकरण करने की भी जरुरत है। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर

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